Sawan pradosh vrat 2021: कब है सावन 2021 का पहला प्रदोष व्रत, यहां जानें तिथि और पूजा विधि

Sawan Pradosh vrat 2021: सनातन धर्म में भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। सावन में पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए बेहद अनुकूल है।

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जानें इस वर्ष कब पड़ रहा है सावन का पहला प्रदोष व्रत (Pic: Istock) 
मुख्य बातें
  • सावन मास के प्रदोष व्रत को भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना गया है।
  • सावन मास का पहला प्रदोष व्रत इस वर्ष 05 अगस्त के दिन पड़ रहा है।
  • भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन भक्तों को जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए।

Sawan Pradosh vrat 2021: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत सनातन धर्म में बहुत लाभदायक माना गया है। कहा जाता है कि सावन मास का प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत मंगलमय है। इस बार सावन मास में प्रदोष व्रत 05 अगस्त के दिन पड़ रहा है। इस वर्ष सावन मास का प्रदोश व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है। इसीलिए इस तिथि को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। सावन मास में पड़ने वाले प्रदोष तिथि पर व्रत करने से तथा भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ भगवान शिव अपने साधकों के जीवन में आ रही सभी परेशानियों को दूर करते हैं। 


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सावन प्रदोष 2021 की तिथि और शुभ मुहूर्त


Sawan pradosh vrat 2021 date सावन 2021 प्रदोष व्रत तिथि: - 05 अगस्त 2021, गुरुवार

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: - 05 अगस्त 2021 शाम 05:09 

त्रयोदशी तिथि समाप्त: - 06 अगस्त 2021 शाम 06:51 

प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल: - 05 अगस्त शाम 06:27 से 06:51 तक 


Pradosh vrat puja vidhi प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

सावन मास के पहले प्रदोष व्रत पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ कपड़ों को धारण करें। अब भोलेनाथ के सामने व्रत का संकल्प लेते हुए पूजा प्ररंभ करें। सबसे पहले दीया जलाएं फिर गंगा जल से जलाभिषेक करें। अब भगवान शिव को उनके प्रिय फूल अर्पित करें और भगवान शिव की पूजा करें। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा के साथ उनके परिवार के सदस्यों की पूजा करना भी लाभदायक माना गया है। भगवान शिव को भोग लगाएं और कथा और आरती के साथ पूजा समाप्त करें। इस दिन प्रदोष काल में भी ठीक ऐसे ही पूजा-आराधना करें। 

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