Yogini Ekadashi 2020: भगवान विष्णु को समर्पित योगिनी एकादशी आज यानि 17 जून को मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी, निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। यह व्रत आषाढ़ मास की कृष्ण एकादशी को आता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना करने से बेहद लाभ मिलता है। यही नहीं यह व्रत बहुत पुण्यदायी भी होता है और इसका अनंत फल भी मिलता है। इस तिथि पर पूजा और दान का विशेष महत्व है।
आइये इस विषय पर जाने-माने ज्योतिष के जानकार सुजीत जी महाराज से जानते हैं कि योगिनी एकादशी पर राशि अनुसार किन-किन चीजों का दान करना चाहिए। इन द्रव्यों का राशि अनुसार दान और पूजन करने से आपको लाभ होगा।
इस दिन बीज मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त का उद्धार करते हैं। यदि आपके ऊपर कोई आर्थिक संकट है या फिर आप किसी प्रकार के असाध्य रोग से पीड़ित हैं तो इस दिन बताए गए राशि अनुसार ये दान जरूर करें।
1. मेष- इस पुनीत अवसर पर गेहूं और गुड़ का दान करें। ताम्र पात्र का दान करें। श्री हनुमान जी की पूजा करें। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। मंगल के बीज मंत्र का जप करें।
2. वृष- बर्तन, चावल और चीनी का दान करें। गरीब अंधे जनों में अन्न और वस्त्र का दान करें। श्री सूक्त का पाठ करें। बुध और शुक्र के बीज मंत्र का जप करें। श्री बजरंगबाण का पाठ करें।
3. मिथुन- गरीबों में वस्त्र का दान करें। गाय को पालक खिलाएं। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।बुध के बीज मंत्र का जप करें।
4. कर्क- धार्मिक पुस्तक का दान करें। एक ताबें के पात्र में लड्डू भरकर श्री हनुमान जी के मंदिर में दान करें। शिव पूजा करें। चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें।
5. सिंह- ताम्र पात्र का दान करें। गरीबों में अन्न दान करें। गेहूं और गुड़ का दान भी लाभप्रद है। सूर्य उपासना करें। गायत्री मंत्र का जप करें।
6. कन्या- गरीबों में वस्त्र का दान करें। स्टील के बर्तन का दान करें। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।बुध के बीज मंत्र का जप करें। श्री रामचरितमानस का पाठ करें।
7. तुला- चांदी के सिक्के। मीठे और जल का गरीबों में वितरण करें। चावल का दान करें। श्री सूक्त का पाठ करें। शुक्र के बीज मंत्र का जप करें।
8. वृश्चिक- अन्न दान करें। रक्त दान करें। श्री सुंदरकांड का पाठ करें। मंगल के बीज मंत्र का जप करें।
9. धनु- धार्मिक पुस्तकों का दान करें। अस्पताल में गरीब मरीजों में फल का वितरण करें। गुरु के बीज मंत्र का जप करें। श्री विष्णु उपासना करें।
10. मकर- तिल का दान करें। चावल और चीनी गरीबों में दान करें। श्री हनुमान जी की पूजा करें।शनि के बीज मंत्र का जप करें।
11. कुंभ- तिल और तेल का दान शनि देव को प्रसन्न करेंगे। गरीबों में भोजन बाटें। सुंदरकांड का पाठ करें।
12. मीन- धार्मिक पुस्तकों का दान करें।गेहूं और गुड़ गरीबों में बाटें। रक्त दान करें। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। गुरु के बीज मंत्र का जप करें।
यह कथा श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को सुना रहे हैं। श्रीकृष्ण कथा सुनाते हुए कहते हैं कि कुबेर नाम का एक राजा रहता था जो शिव भक्त था। वहीं हेम नाम का एक माली था जो पूजा के लिए उसके यहां से फूल लाया करता था। एक दिन वह कुबेर के यहां फूल नहीं पहुंचा पाया। ऐसे में कुबेर गुस्सा हो गए और उसे बुलवाया। हेम माली राजा के डर से आया। कुबेर ने कहा- तुमने शिवजी का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।
ऐसे में हेम माली ने दुख भोगे। परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की सारी याद थी। जंगल में घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा और उनके पैर पड़ गया। उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि ने उसे व्रत बताया। उन्होंने हेम को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने को कहा , जिससे उसके पाप नष्ट हो सकते थे। हेम माली ने यह व्रत किया और उसके प्रभाव से पुराने स्वरूप में आ गया। इसके बाद वह अपनी स्त्री के साथ सुखमय जीवन बिताने लगा।
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