उत्तर भारत के पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। साल 2020 में योगिनी एकादशी 17 जून को आ रही है। पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी, निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विधिवत व्रत रखना चाहिए।
योगिनी एकादशी तिथि : बुधवार, जून 17, 2020 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ : जून 16, 2020 को 05:40 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – जून 17, 2020 को सुबह 7:50 बजे
पारण का समय- 18 जून 2020 को सुबह 05:41 से लेकर 08: 24 मिनट तक
यह कथा श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को सुना रहे हैं। श्रीकृष्ण कथा सुनाते हुए कहते हैं कि कुबेर नाम का एक राजा रहता था जो शिव भक्त था। वहीं हेम नाम का एक माली था जो पूजा के लिए उसके यहां से फूल लाया करता था। एक दिन वह कुबेर के यहां फूल नहीं पहुंचा पाया। ऐसे में कुबेर गुस्सा हो गए और उसे बुलवाया। हेम माली राजा के डर से आया। कुबेर ने कहा- तुमने शिवजी का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।
ऐसे में हेम माली ने दुख भोगे। परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की सारी याद थी। जंगल में घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा और उनके पैर पड़ गया। उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि ने उसे व्रत बताया। उन्होंने हेम को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने को कहा , जिससे उसके पाप नष्ट हो सकते थे। हेम माली ने यह व्रत किया और उसके प्रभाव से पुराने स्वरूप में आ गया। इसके बाद वह अपनी स्त्री के साथ सुखमय जीवन बिताने लगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू धर्म अनुसार साल में कुल चौबीस एकादशियां होती हैं। जिनमें से आषाढ़ कृष्ण एकादशी के नाम को योगिनी कहते हैं।
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