हिंदू कलैंडर जो चैत्र मास से शुरू होता है, उसके अनुसार साल का चौथा माह आषाढ़ बनता है। आषाढ़ को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इसे संधि काल का मास भी कहा जाता है क्योंकि इसी दौरान ही मौसम में गर्मी खत्म होकर नमी बढ़ने लगती है।। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है। ये मास ज्येष्ठ और सावन माह के बीच आता है। आषाढ़ मास की बड़ी महिमा मानी जाती है। साथ ही इस माह में दान पुण्य का भी महत्व बताया गया है।
6 जून – गुरु हरगोविंद सिंह जयंती
8 जून – गणेश चतुर्थी
13 जून – शीतलाष्टमी बसौरा त्योहार
15 जून – मिथुन संक्रांति
17 जून – योगिनी एकादशी
18 जून – प्रदोष व्रत
19 जून – शिव चतुर्दशी व्रत और संत नामदेव पुण्य स्मरण दिवस
20 जून – आषाढ़ अमावस्या
सूर्य का मिथुन में प्रवेश, विष्णु जाएंगे निद्रा में
आषाढ़ मास की इन तिथियों में कुछ बेहद महत्वपूर्ण हैं। 15 जून को मिथुन संक्रांति है। यानी इस दिन सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होगा। वहीं इसी मास में सूर्य ग्रहण भी लगेगा। 23 जून से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू होगी। एक जुलाई को देवशयनी एकादशी है जिसके बाद से सभी शुभ काम कुछ समय के लिए रुक जाएंगे।
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