Gurupurab 2019: इस गुरुद्वारे में हुआ था गुरु नानक देव जी का व‍िवाह, आज भी खड़ी है उनको सहारा देने वाली दीवार

धार्मिक स्‍थल
मेधा चावला
मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated Nov 12, 2019 | 08:15 IST

Guru Nanak Jayanti 2019 : गुरु नानक देव को समर्प‍ित यूं तो कई गुरुद्वारे हैं लेकिन गुरदासपुर के गुरुद्वारा कंध साह‍िब को लेकर एक अलग ही आस्‍था है। जानें इस गुरुद्वारे के बारे में व‍िस्‍तार से

gurdwara kandh sahib
Gurdwara Kandh Sahib  |  तस्वीर साभार: Twitter

पंजाब के गुरदासपुर के बटाला में स्‍थित है गुरुद्वारा कंध साह‍िब। यह गुरुद्वारा लोगों की आस्‍था का केंद्र है और गुरु नानक जयंती पर यहां मत्‍था टेकने वालों की खूब भीड़ जुटती है। दरअसल, ये गुरुद्वारा जुड़ा है गुरु नानक देव जी के व‍िवाह के आयोजन से। 

बताया जाता है क‍ि इसी जगह वर्ष 1405 में गुरु नानक देव जी का व‍िवाह मूल राज खत्री की बेटी सुलक्खनी देवी से हुआ था। लड़की पक्ष के घर की जगह गुरुद्वारा डेरा साहिब बना है। 

ग्रंथों के अनुसार, गुरु जी के ससुराल वालों ने उस समय बारात को एक कच्‍चे घर में ठहराया था। इसकी दीवार आज भी वैसे ही खड़ी है, बस इसे शीशे के फ्रेम में रखा गया है। इसी घर को ही गुरुद्वारा कंध साहिब का रूप द‍िया गया है। 

कैसे मिला गुरुद्वारा कंध साह‍िब / Gurdwara Kandh Sahib को नाम 

गुरु जी उस समय कच्‍ची दीवार का सहारा लेकर बैठे थे। वधू पक्ष की एक बुजुर्ग मह‍िला को लगा क‍ि कहीं ऐसा न हो लड़कियां शरारत करके कच्ची दीवार को गिरा दें और दूल्हे को चोट आ जाए या वे बुरा मान जाएं। यह बात उन्‍होंने गुरुजी से कही तो वह मुस्‍कुराकर बोले -  माता  जी यह दीवार युगों-युग नहीं गिरेगी। इतिहास गवाह है कि पांच सौ वर्ष बीत जाने के बावजूद मिट्टी की वह कच्ची दीवार आज तक गरुद्वारा श्री कंध साहिब में मौजूद है।

फ‍िलहाल इस दीवार को शीशे के केस में सुरक्षित कर दिया गया है क्‍योंक‍ि यहां मत्‍था टेकने आने वाले लोग दीवार की मिट्टी उखाड़कर अपने साथ ले जाते थे। दरअसल लोगों में धारणा थी क‍ि यहां की मिट्टी को गुरु जी के पव‍ित्र हाथ लगे हैं और इसे खाने से रोग दूर हो सकते हैं। 

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