ज्येष्ठ मास के शुल्क पक्ष की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल यह 5 जून दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने की मान्यता है। माना जाता है कि ऐसा करने से सभी पापों का नाश होता है। यही नहीं, इस दिन पितरों के लिए भी पूजा और दान करने की परंपरा है। इस दिन महिलाओं को व्रत रखना चाहिए और भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। इस दिन वट पूर्णिमा व्रत भी रखा जाता है जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
जून 5, 2020 को 03:17:47 से पूर्णिमा आरम्भ
जून 6, 2020 को 00:44:05 पर पूर्णिमा समाप्त
इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा करती हैं। पूजा के लिए 7 तरह के अनाज को बांस की टोकरी में रखा जाता है। वहीं दूसरी टोकरी में सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है। वट वृक्ष की पूजा जल, अक्षत, कुमकुम से की जाती है और वृक्ष के सात बार चक्कर लगाते हुए मौली को बांधा जाता है। पूजन के दौरान सावित्री माता की कथा भी सुनी जाती है।
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