ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत रखने की परंपरा है और साथ ही पवित्र नदियों में स्नान और दान किया जाता है। इस दिन खासतौर गंगा स्नान का उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी पाप मिटते हैं। वहीं पितरों के लिए भी ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को पूजा पाठ किया जाता है।
जून 5, 2020 को 03:17:47 से पूर्णिमा आरम्भ
जून 6, 2020 को 00:44:05 पर पूर्णिमा समाप्त
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शिव जी और श्री हरि का पूजन खासतौर पर फलदायी माना जाता है। यह व्रत और पूजन खासतौर पर उन युवाओं के लिए है जिनके विवाह में दिक्कत आ रही है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करने से विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है। वहीं भगवान विष्णु की मूर्ति को शंख में दूध के साथ केसर डाल कर स्नान करवाएं और साथ ही उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। इससे घर की समस्याएं दूर हो जाएंगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर तुलसी जी के पौधे को शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद 8 दीपक गाय के घी के जलाएं। मां तुलसी के आठ नाम का पाठ करने के बाद 11 बार उनके पौधे की परिक्रमा करें।
इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग रहा है तो गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा को अर्पित कीजिये। एक मिट्टी के घड़े में शीतल जल भरकर दान कीजिए। ताम्र पात्र या फूल के गगरे में शीतल जल भरकर पात्र सहित दान करना हितकर रहेगा।
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