हिंदू धर्म में एकादशी व्रत और पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पूरी श्रद्धा से भगवान की पूजा करते हैं और सुखी जीवन की कामना करते हैं। वैसे तो हर एकादशी का अपना महत्व है लेकिन इन सभी में षटतिला एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। इस वर्ष षटतिला एकादशी दिनांक 20 जनवरी, सोमवार को सुबह 02:51 से 21 जनवरी 02:05 बजे पर समाप्त होगी।
इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कुछ लोग षटतिला एकादशी का उपवास रखकर नदियों में स्नान करते हैं गरीबों को दान भी देते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति षटतिला एकादशी का व्रत रखकर सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। षटतिला एकादशी के दिन तिल का भी बहुत महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तिल या तिल की बनी वस्तुओं का दान करने से व्यक्ति को स्वर्ग प्राप्त होता है और उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइये जानते हैं षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व और पूजा विधि।
षटतिला एकादशी पूजा विधि
षटतिला एकादशी के दिन तिल का महत्व
षटतिला एकादशी के नाम से ही स्पष्ट है कि यह एकादशी तिल से जुड़ी हुई है। इस दिन तिल का बहुत अधिक महत्व होता है। देवी देवताओं की पूजा में तिल शामिल करना बहुत शुभ माना जाता है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का उपयोग ऐसे करना चाहिए।
इस तरह नियमपूर्वक षटतिला एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है।
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