नई दिल्ली: आपने कई दुकानों पर पेमेंट, फोन पे और यूपीआई से ऑनलाइन भुगतान के लिए QR कोड लगे देखे होंगे। कई लोगों के मन में इसे लेकर सवाल आ सकते हैं, आज हम इन्हीं को लेकर चर्चा करने जा रहे हैं। QR कोड का पूरा नाम होता है क्विक रिएक्शन कोड, जो व्यापारियों को स्मार्टफोन कैमरा की मदद से स्कैन करके ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने की सुविधा देता है।
QR कोड दो आयामी बार कोड हैं। यह सफेद बैंकग्राउंड पर चौकोर ग्रिड में व्यवस्थित काले बॉक्स के एक पैटर्न से मिलकर बना होता है। QR कोड एक इमेजिंग डिवाइस जैसे स्मार्टफोन कैमरा के साथ स्कैन किया जा सकता है।
व्यापारी भुगतान पाने के लिए या तो परमानेंट बार कोड जेनरेट कर सकते हैं या फिर पेमेंट लेते समय वनटाइम कोड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ग्राहक धनराशि ट्रांसफर करने के लिए अपने फोन से स्कैन करके भुगतान करता है। QR कोड भुगतान खरीद लेनदेन की जानकारी खरीदार / ग्राहक के मोबाइल डिवाइस तक पहुंचाता है।
QR कोड से ई-कॉमर्स भुगतान को गति देते हैं और यह अधिक सुरक्षित भी होता है। इसके लिए अपने अकाउंट संबंधी कोई जानकारी नहीं देनी होती और तेजी से काम भी हो जाता है।
भुगतान की इस तरीके को रेस्त्रां, फ्यूल स्टेशन, सुपरमार्केट आदि में अपनाया जा सकता है। यह मूल रूप से ऐसी जगहों पर ज्यादा उपयोगी साबित होता है जहां पेमेंट के लिए ज्यादा लोग मौजूद हैं और फटाफट काम करने की जरूरत है।
भुगतान राशि को निश्चित करने का विकल्प: अलग अलग तरह के QR कोड का इस्तेमाल लोग कर सकते हैं। ऐसा भी क्यूआर कोड होता है कि व्यापारी उसमें राशि निश्चित कर सकता है, जैसे ही ग्राहक स्कैन करेगा उसे एक निश्चित राशि भुगतान का विकल्प आ जाएगा। या फिर कई मामलों में कोड स्कैन करने के बाद ग्राहक भी राशि डाल सकता है।
QR कोड में कंपनियों को इस बात की चिंता नहीं करनी होती कि ग्राहक किस डिवाइस का उपयोग कर रहा है, कोई भी स्मार्टफोन QR कोड रीड कर सकता है। एक कोड को जनरेट करने और स्कैन करने की प्रक्रिया ऐप के भीतर पूरी होती है और यह मुफ्त होने के सात सुरक्षित भी है।
QR कोड इस्तेमाल की सीमाएं: एक नकारात्मक पहलू पर, QR कोड भुगतान फोन के कैमरे पर निर्भर करता है जो फोन की बैटरी पर असर डालता देता है। QR कोड भुगतानों को आपके स्मार्ट फोन पर लगातार इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है।