कई लोगों को मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND) नामक बीमारी होती है जिसमें उन्हें अपने मुंह के अंदर के मांसपेशियों में, गले में और जीभ में कमजोरी की समस्या होती है। ये कमजोरी उनके वोकल पावर (बोलने की क्षमता) पर प्रभाव डालती है। इससे पीड़ित व्यक्ति बोलने में असमर्थता जाहिर करता है।
एमएनडी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए मेडिकल की दुनिया में ऑगमेंटेटिव एंड अल्टरनेटिव कम्युनिकेशन (AAC) नामक इलाज का ईजाद किया गया है। कुछ ऐसे लोग जो MND से पीड़ित होते हैं वे अपनी वॉइस को बैंक कर रखना चाहते हैं ताकि वे इसका हाई-टेक AAC तकनीक के जरिए भविष्य में इसका इस्तेमाल कर सकें।
क्या है वॉइस बैंकिंग
वॉइस बैंकिंग एक प्रक्रिया है जिसके तहत कोई व्यक्ति अपनी आवाज में कई सारे वाक्यों की एक पूरी लिस्ट को रिकॉर्ड करता है। इसके बाद इस रिकॉर्डिंग को पर्सनल सिंथेटिक वॉइस में कन्वर्ट किया जाता है। जब वह व्यक्ति अपनी वॉइस के इस्तेमाल में सक्षम नहीं होता है तो वे सिंथेटिक वॉइस को स्पीच जेनरेटिंग कम्युनिकेशन डिवाइस में अनगिनत शब्दों व वाक्यों के निर्माण के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ये वॉइस सिंथेटिक होता है और व्यक्ति वे वास्तविक आवाज का डुप्लीकेट जैसा नहीं होता है लेकिन यह काफी हद तक उससे मिलता जुलता है।
वॉइस बैंकिंग कैसे काम करता है
हर सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग संख्या में वाक्यों को रिकॉर्ड करने की आजादी देता है। लेकिन सामान्य तौर पर 600 से 3500 वाक्यों को एक बार में रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसे रिकॉर्ड करने में बमुश्किल 6 से 8 घंटे लगते हैं, कभी-कभी हफ्तों और महीनों भी लग जाते हैं। अगर कोई बार-बार ब्रेक लेना चाहता है तो इससे रिकॉर्डिंग में बड़ा समय लगता है।
क्या यह हर किसी के लिए है
हर कोई अपनी वॉइस को भविष्य में इस्तेमाल के लिए रिकॉर्ड कर नहीं रख सकता है। MND से गंभीर रुप से पीड़ित व्यक्ति कभी-कभी अपनी वॉइस को रिकॉर्ड नहीं कर पाते क्योंकि इसमें वाक्यों को बिल्कुल उसी तरह से उच्चारण करने की जरूरत होती है जैसा कि उसमें रिकॉर्ड किया गया है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि MND से पीड़ित कोई व्यक्ति अगर अपनी वॉइस को बैंक करना चाहता है तो उसे शुरुआती समय में ये ही ये काम कर लेना चाहिए खास तौर पर जब उसके मुंह में बीमारी के ये लक्षण तेजी से बढ़ने लग उसके पहले ही उसे ये काम कर लेना चाहिए।
वॉइस बैंकिंग प्रोसेस