ये दुनिया रहस्यों से भरी पड़ी है। हालांकि, समय-समय पर इनके बारे में खुलासे होते रहते हैं। लेकिन, कई रहस्यों की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी एक ऐसी घटना घटी थी, जिसमें एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आलम ये है कि इस घटना को आज तक नहीं भूला जा सका। आज हम आपको इस हादसे के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में हो सकता है आप नहीं जानते हों?
दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेनाओं ने थाईलैंड पर कब्जा कर लिया था। उस वक्त थाईलैंड ब्रिटिश उपनिवेश बर्मा के करीब था। जापान के लिए अपनी फौजों तक चीजों को पहुंचान मुश्किल था। समुद्री रास्तों पर दुश्मन सेनाओं का कब्जा था। लिहाजा, जापानियों को रेलमार्ग बनाने की जरूरत थी। बताया जाता है कि सितंबर 1942 में बर्मा में और नवंबर 1942 में थाईलैंड में रेलमार्ग का निर्माण शुरू हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, इस रेलमार्ग को बनाने में काफी समय लगता, लेकिन जापानियों ने इसे एक साल में ही बनाने की योजना बनाई। लिहाजा, 60,000 युद्ध बंदियों और ढाई लाख दक्षिण पूर्व एशियाई मजदूरों को इस काम में लगाया गया। लेकिन, लोगों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई। ना तो सही से मजदूरों को खाना दिया जाता था और ना ही उनके पास औजार थे। मजदूर गंदगी में रहने के लिए मजबूर थे। 18 घंटे उनसे काम कराया जाता था। इतना ही नहीं जो मजदूर सही से काम नहीं करते थे उन्हें खौफनाक सजा दी जाती थी। कई मजदूर मलेरिया, डेंगू जैसी घातक बीमारियों के शिकार हो गए।
एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत
परिणाम ये हुआ धीरे-धीरे मजदूरों और युद्ध बंदियों की हालत बिगड़ने लगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 415 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन को बनाने में तकरीबन 80 हजार एशियाई मजदूर और 14 हजार के करीब युद्ध बंदी मारे गए। कुल मिलाकर एक लाख से ज्याद मजदूरों की मौत हो गई। लिहाजा, यह रेल लाइन 'डेथ रेलवे' के नाम से मशहूर हो गया। रेल लाइन बनाने के दौरान आज तक ऐसी दूसरी घटना नहीं घटी है।