नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रकोप और इसके संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कई देशों में लॉकडाउन लागू किया गया है। ऐसे समय में जब इंसान घरों के अंदर कैद हैं तब दूसरे जीवों को खुलकर अपने जीवन का आनंद लेने का मौका मिल गया है। बीते दिनों ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं जहां जानवर रिहायशी इलाकों सैर सपाटा करते देखे गए हैं। सोशल मीडिया जानवरों के ऐसे शानदार वीडियो से भरा पड़ा है और इसी कड़ी में एक और वीडियो सामने आया है।
एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें गंगा नदी की डॉल्फिन (मीठे पानी की लुप्तप्राय डॉल्फिन नस्ल) मेरठ में गोते लगाती दिख रही है। इस क्लिप को भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी आकाश दीप बधावन ने ट्विटर पर साझा किया है। यह नजारा दिखने पर इसे फोन में कैद कर लिया गया, जिसमें डॉल्फिन मछली का एक जोड़ा गंगा में तैरने का आनंद ले रहा है। हालांकि, बधावन ने यह नहीं बताया कि यह वीडियो उनके द्वारा वीडियो शूट किया गया था या नहीं।
उन्होंने क्लिप को शेयर करते हुए लिखा, 'गंगा नदी डॉल्फिन, हमारे राष्ट्रीय जलीय जानवर, जो कभी गंगा- ब्रह्मपुत्र- मेघना नदी प्रणाली में रहते थे, अब लुप्तप्राय है। वे ताजे पानी में रहते हैं और आंखों में छोटे से स्लिट्स के साथ लगभग नेत्रहीन हैं। मेरठ में गंगा में इनको देखने का सौभाग्य मिला।'
उन्होंने बताया, 'आधिकारिक रूप से 1801 में खोजा गए ये जीव व्यावहारिक रूप से अंधे होते हैं। इनकी आंखें बहुत छोटी होती हैं। वे आसपास के क्षेत्र में अन्य मछलियों को ट्रैक करने के लिए अल्ट्रासोनिक ध्वनियों का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर एकल और कभी कभी जोड़ों में भी पाए जाते हैं और जोड़े में अक्सर मां और उसका बच्चा होता है। ये छोटे समूहों में ही रहना पसंद करते हैं।'
बधावन ने यह भी कहा, 'इन जीवों का निवास स्थान काफी हद तक गंगा का इलाका है जहां मछलियां पानी में मौजूद हैं और जल धाराएं धीमी हैं। यहां घनी मानव आबादी में मछुआरे इन्हें पकड़ने की कोशिश करते हैं और उनके मांस और तेल के लिए अब भी कई बार उनका शिकार किया जाता है!'
क्लिप साझा किए जाने के बाद, ट्विटर पर यह तेजी से वायरल हो रही है। इसे 13 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है।
डिस्क्लेमर: आईएफएस अधिकारी की ओर शेयर वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है। हालांकि यह वीडियो कहां का है और कब रिकॉर्ड किया गया इस बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है। टाइम्स नाउ हिंदी इसकी सत्यता को प्रमाणित नहीं करता।