नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है। लॉकडाउन के कारण जहां आम जन जीवन थम गया है वहीं इस दौरान प्रवासी मजदूरों की परेशानी काफी बढ़ गई है। उन्हें खाने और रहने की दिक्कतें पेश आ रही हैं। यही वजह है कि प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों से अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। प्रवासी मजदूरअपने घरों का सफर किसी भी हाल में तय करने की कोशिश में लगे हैं। मजदूर पैदल और साइकिल के जरिए कई सौ किलोमीटर तक जा रहे हैं। इस बीच राजस्थान के भरतपुर से एक बेहद मार्मिक खबर सामने आई है। यहां एक मजदूर किसी शख्स की बिना बताए साइकिल ले गया और भावनात्मक चिट्ठी छोड़ गया।
'मुझे खुशी है साइकिल काम आ गई'
मजदूर ने जिस शख्स की साइकिल ली है, उससे अपनी इस हरकत के लिए माफी मांगी है। साइकिल ले जाने वाले शख्स ने चिट्ठी में अपनी मजबूरी बताई है कि वह क्यों ऐसा कर रहा है। अब यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि यह चिट्ठी मजदूरों की बेबसी की दास्तां बयान करती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साइकिल के मालिक साहब सिंह ने कहा कि साइकिल गायब होने के बाद चोरी की आशंका होने लगी थी। लेकिन जब पता चला कि एक मजबूर व्यक्ति साइकिल ले गया है तो कोई मलाल नहीं है। मुझे खुशी है कि साइकिल किसी के काम आ सकी।
मजदूर ने चिट्ठी में क्या लिखा है?
चिट्ठी में मजदूर ने अपना दर्द बयान करते हुए लिखा कि उसे साइकिल इसलिए ले जानी पड़ रही है क्योंकि कोई साध नहीं है। मजदूर ने बताया कि उसे अपने विकलांग बेटे से मिलना है, जो बरेली में रहता है। चिट्ठी में मजदूर ने साइकिल के मालिक को नमस्ते जी से संबंधोति किया है। मजदूर ने साथ ही लिखा, 'मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं। हो सके, तो मुझे माफ कर देना जी, क्योंकि मेरे पास घर जाने का कोई साधन नहीं है। मेरा एक बच्चा है, उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ रहा है, क्योंकि वो विकलांग है , चल नहीं सकता, हमें बरेली तक जाना है। आपका कसूरवार , एक यात्री , एक मजदूर।'