सूडान में 'जंगल के राजा' को भी नहीं मिल रहा पर्याप्‍त भोजन, सोशल मीडिया पर वायरल हुई ये तस्‍वीरें

सूडान से शेरों की कई तस्‍वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जो दर्शाती हैं कि वे किस कदर कमजोर और कुपोषित हो गए हैं। उन्‍हें बचाने के लिए ऑनलान मुह‍िम शुरू हुई है।

Sudan photos of malnourished and sick African lions go viral online campaign began to save them
शेरों की यह दशा देखकर लोगों का मन दुखी हो रहा है  |  तस्वीर साभार: Facebook

नई दिल्‍ली : जंगल के राजा शेर की पहचान उसकी ताकत से होती है, लेकिन संकटग्रस्‍त सूडान में शेर भी आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं। यहां के चिड़‍ियाघर से शेर की चौंकाने वाली तस्‍वीरें सामने आई हैं, जो दर्शाते हैं कि जंगल का राजा कहलाने वाले शेर किस तरह कुपोषण का शिकार बन गए हैं। इन तस्‍वीरों में उनकी हड्डियां साफ नजर आ रही हैं और दिख रहा है कि वे कितने कमजोर हो गए हैं।

कुपोषित शेरों की ये तस्‍वीरें सूडान की राजधानी खार्तूम के अल-कुरैशी पार्क की है, जिसे देखते हुए लोग उन्‍हें कहीं अन्‍य शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां कम से कम 5 शेर बुरी तरह बीमार और कुपोषित हैं, जिनमें से एक शेरनी की मंगलवार को मौत भी हो गई। इन 'बीमार और कुपोषित' शेरों की तस्‍वीरों ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्‍यान खींचा है, जिसके बाद इन्‍हें बचाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन भी शुरू किया गया है।

एक्टिविस्ट उस्मान सालिह ने फेसबुक पर बीमार शेरों की तस्‍वीरें व वीडियो शेयर करते हुए बताया है कि किस तरह उन्‍हें बेहतर स्थिति में लाने के लिए उपचार मुहैया कराया जा रहा है। उन्‍होंने यह भी लिखा कि 20 जनवरी को बीमार शेरों में से एक शेरनी की जान चली गई। तमाम कोशिशों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका।

पिछले कुछ सप्‍ताहों में यहां जानवरों के औसत वजन में भारी गिरावट हुई है, जिसकी वजह यहां जानवरों के लिए भोजन की अनुपलब्‍धता को बताया जा रहा है। अल-कुरैशी पार्क में मैनेजर इसामेलुद्दीन हज्जार का कहना है कि इसका प्रबंधन खार्तूम नगरपालिका के जिम्‍मे है और फिलहाल यह लोगों के दान से चल रहा है। यहां हमेशा खाना उपलब्‍ध नहीं होता, जिसके चलते कई बार उन्‍हें जानवरों के लिए अपनी जेब से खर्च कर भोजन का प्रबंध करना पड़ता है।

यहां यह भी उल्‍लेखनीय है कि सूडान भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, जहां खाने-पीने की चीजों की कीमत आसमान छू रही है। यहां तक कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी समाप्‍त होने के कगार पर है।

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