न्यूयार्क : आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान दुनियाभर में बेनकाब हो चुका है। अपनी भूमि पर मौजूद आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर उसे वैश्विक आतंकवाद वित्तपोषण निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने भी ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है। पाकिस्तान में जिन आतंकी गतिवधियों को प्रश्रय एवं प्रोत्साहन मिलता है उसका खामियाजा भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान को भी भुगतना पड़ रहा है, जिसकी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है।
अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के 6000 से लेकर 6500 तक आतंकी मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश तहरीक ए तालिबान (TTP) के सदस्य हैं। उनकी वजह से अफगानिस्तान को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि अफगानिस्तान में सक्रिय टीटीपी आतंकियों की अगुवाई आमिर नूर वली मसूद कर रहा है, जबकि कारी अमजद और मोहम्मद खोरासानी उसके करीबी सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस रिपोर्ट से एक बार फिर जाहिर हो गया है कि पाकिस्तान किस तरह न केवल भारत में, बल्कि अफगानिस्तान के लिए भी बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है, जिसे लेकर अफगानिस्तान के हुक्मरान कई बार आवाज उठा चुके हैं। अभी 21 जुलाई को भी अफगानिस्तान में जब नाटो ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 25 तालिबान आतंकियों को मार गिराया था, तब भी पाकिस्तान ने इसमें अपनी संलिप्तता से इनकार किया था, लेकिन मारे गए 25 में से 12 आतंकियों के पास से जो पहचान-पत्र मिले, उससे जाहिर हुआ कि ये पाकिस्तानी थे।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि पिछले महीने ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल एसेम्बली में अपने एक संबोधन के दौरान अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 (9/11 आतंकी हमला) को हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड अलकायदा सरगना ओसमा बिन लादेन के लिए 'शहीद' शब्द का इस्तेमाल किया था। वहीं, आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज एफएटीफ की 25 जून को हुई बैठक में इसे एक बार फिर ग्रे सूची में रखने का फैसला किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान से जिन 27 बातों को पूरा करने के लिए कहा था, उनमें से 13 पर अब भी अमल बाकी है।