वाशिंगटन : अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले को 19 साल हो चुके हैं, पर लोगों की जेहन पर उस घटना के जख्म अब भी हरे हैं। आतंकियों ने न्यूयार्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दो टॉवर्स और अमेरिकी रक्षा कार्यालय पेंटागन को निशाना बनाया था। दुनिया के सबसे ताकतवर और खुफिया मामलों में सशक्त समझे जाने वाले देश अमेरिका में हुए इन हमलों ने न केवल अमेरिकियों को, बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया।
न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में काम करने वालों को शायद ही इसका अंदाज था कि जिस जगह वे सुबह-सुबह अपने काम के लिए रोजाना जाते हैं, वहां सबसे भीषण हमला होने जा रहा है। आतंकी पूरी तैयारी के साथ थे। इन हमलों के लिए उन्होंने यात्री विमानों को इस्तेमाल किया, जिन्हें उन्होंने पहले ही अगवा कर लिया था। चार यात्री विमानों को एक साथ अगवा कर लिया गया था और अमेरिका इस दिशा में अभी कुछ कर पाता कि ये हमला हो गया।
सुबह 8:46 का वक्त हो रहा था, जब अमेरिकी एयरलाइंस का एक विमान पहले ट्रेड सेंटर के उत्तरी टॉवर से टकराया। इसके 17 मिनट बाद दक्षिणी टॉवर से भी एक विमान टकराया। लोग एकाएक समझ ही नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या। जान बचाने के लिए लोग ऊंची इमारतों से ही छलांग लगाने लगे। चंद मिनटों में अमेरिका की शान रहे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर्स जमींदोज हो गए, जबकि कुछ मंजिलों पर एक-दो घंटे तक आग लगी रही।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवर्स पर हुए इन हमलों के बाद अमेरिकी एजेंसियां अभी संभली ही थी कि 9 बजकर 37 मिनट पर एक विमान पेंटागन से जा टकराया। अमेरिका में हुए इन हमलों में 3000 से अधिक लोगों की जान गई। कामकाज के लिए सुबह घर से निकले लोग फिर कभी अपने घर नहीं लौट पाए। न्यूयॉर्क में अफरा-तफरी का माहौल था। ट्रेड टॉवर और पास की एक इमारत गिरने से लाखों टन मलबा इकट्ठा हो गया था।