नई दिल्ली: अफगानिस्तान से इस समय बड़ी खबर आ रही है। राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने पद से इस्तीफा दे सकते है। अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते वर्चव के बीच अशरफ गनी ने ये कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि तालिबान कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनेगा।
इससे पहले खबर आई थी कि तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी घुस गया है। गृहमंत्री अब्दुल सत्तार का बयान आया था कि तालिबान को सत्ता शांतिपूर्वक तरीके से सौंपी जाएगी। वहीं तालिबान ने भी अपने लड़ाकों को संयम बरतने की सलाह दी।
इससे पहले तालिबान ने अफगानिस्तान के एक और बड़े शहर जलालाबाद पर कब्जा कर लिया। मजार-ए-शरीफ के बाद नंगरहार की राजधानी जलालाबाद पर तालिबान का कब्जा हो गया। यहां तालिबान को किसी तरह का संघर्ष नहीं करना पड़ा, जलालाबाद के गवर्नर ने सरेंडर कर दिया। वहीं रास्ते में कई अफगान सैनिकों ने तालिबान के सामने खुद ही सरेंडर कर दिया, जलालाबाद सड़क के रास्ते पाकिस्तान से जुड़ा है।
अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने बताया कि तालिबान के वार्ताकार सत्ता के हस्तांतरण की तैयारी के लिए राष्ट्रपति के आवास जा रहे हैं। अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर रविवार को बताया कि इस मुलाकात का उद्देश्य तालिबान को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता सौंपना है। तालिबान ने कहा कि उनकी ताकत के बल पर सत्ता लेने की योजना नहीं है।
कौन है मुल्ला अब्दुल गनी बरदार?
आज के तालिबान का उपसंस्थापक और संगठन में नंबर 2 है। मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा का राजनीतिक सलाहकार है। मौलवी अखुंदजादा तालिबान का मुख्य न्यायाधीश है। मुल्ला बरदार मौलवी अखुंदजादा का सबसे करीबी है। दोहा बातचीत में बरदार की सबसे अहम भूमिका रही।
इस बीच अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को काबुल से निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। वहां से तस्वीरों में साफ दिखाई दिया कि काबुल में यूएस एंबेसी के ऊपर अमेरिकी हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे है, ताकि अमेरिकी नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला जा सके। तस्वीरों में धुआं भी देखा जा सकता है, जो संकेत हैं कि अमेरिकी अधिकारियों ने काबुल से बाहर निकलने से पहले संवेदनशील दस्तावेजों को जला दिया है।