कश्मीर (Kashmir) पर पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों की धार कुंद करने के लिए भारत की कोशिश जारी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल (Ajit Doval) सऊदी अरब की यात्रा के बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचे हैं और उन्होंने यूएई के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद से मुलाकात की है। पाकिस्तान (Pakistan) इन दोनों कश्मीर पर मुस्लिम देशों का समर्थन एक बार फिर जुटाने की कोशिश कर रहा है जिसे देखते हुए डोभाल का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
सऊदी अरब की अपनी यात्रा में एनएसए ने रियाद में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की और कश्मीर पर भारत के फैसले के बारे में उन्हें अवगत कराया। रिपोर्टों में कहा गया है कि दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत बनाने, सुरक्षा और साझे हितों पर चर्चा की। डोभाल से अपनी मुलाकात में सऊदी की तरफ से कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले को वह समझता है और उम्मीद करता है कि भारत और पाकिस्तान तनाव कम करने के लिए कदम उठाएंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक डोभाल और यूएई के क्राउन प्रिंस जायद के बीच मगंलवार को बैठक हुई और इस दौरान एनएसए ने प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से जायद को उनके चाचा शेख सुहैल बिन मुबारक अल कतेबी के निधन पर अपनी शोक संवेदना प्रकट की। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में जायद परिवार के लोग और सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। बता दें कि अल कतेबी की रविवार को लंदन में निधन हो गया।
डोभाल सऊदी की अपनी दो दिनों की यात्रा पूरी कर यूएई पहुंचे हैं। भारत और यूएई के बीच काफी मजबूत द्विपक्षीय एवं कारोबारी रिश्ते हैं। दोनों देश आपसी कारोबार एवं परस्पर हित के मुद्दों को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं। हाल के वर्षों में यूएई भारत का अहम कारोबार सहयोगी के रूप में उभरा है। इसके अलावा यूएई में भारी संख्या में भारतीय कामगार रहते हैं। ये बातें दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाती हैं।
कश्मीर मसले पर मुस्लिम देशों का समर्थन जुटाने वाले पाकिस्तान को यूएई ने तगड़ा झटका दिया है। यूएई ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और वह भारत सरकार के फैसले का समर्थन करता है। पाकिस्तान को सऊदी अरब से भी काफी उम्मीदें थीं लेकिन सऊदी अरब ने भी उसे झटका दिया। सऊदी अरब कश्मीर पर मौन रहा उसने पाकिस्तान के समर्थन में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में अपनी कूटनीतिक कोशिशें नाकाम होने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर मुस्लिम देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश में है।