नई दिल्ली : नए विवादत नक्शे पर भारत के साथ छिड़े विवाद पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं। कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं ने ओली पर इस्तीफा का दबाव बढ़ा दिया है। अपनी ही पार्टी में घिरे ओली ने गुरुवार को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की। इस बीच, खबर यह भी है कि आज पार्टी की बैठक में ओली नहीं पहुंचे। बता दें कि भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने विवादित नक्शे में शामिल किए जाने पर नई दिल्ली और काठमांडू के बीच रिश्ते तल्ख हो गए हैं। भारत पर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाकर ओली ने सियासी सरगर्मी को और बढ़ा दी है। ओली आज देश को संबोधित भी कर सकते हैं।
कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं ने ओली पर बोला हमला
ओली के इस आरोप के बाद कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं ने उन पर हमला तेज कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य लीलामणि पोखरेल ने कहा, 'आपने आरोप लगाया है कि भारत आपकी सरकार गिराने की साजिश रच रहा है। आप जिस पद पर हैं यह आरोप उस गरिमा के खिलाफ है। आपको या तो सबूत पेश करें या आपको इस्तीफा दे देना चाहिए।' स्टैंडिंग कमेटी की एर सदस्य मैत्रिका यादव ने कहा कि ओली को अपना पद तुरंत छोड़ देना चाहिए क्योंकि उन्होंने 'किसी पार्टी के नेता से ज्यादा एक गैंग लीडर की तरह काम किया है।'
ओली को बैठक में दी गई सलाह
गौरतलब है कि गत बुधवार को ओली ने अपनी कैबिनेट के कुछ वफादार एवं पार्टी के कुछ नेताओं की एक बैठक बुलाई थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में ओली का रुख भारत के प्रति नरम था और 'वह चिंतित दिखाई दे रहे थे।' बैठक में शामिल होने वाले एक नेता ने कहा, 'उन्होंने राष्ट्रीय हित में अपना बचाव करने के लिए कहा।' इस अनौपचारिक बैठक में पार्टी के कुछ नेताओं ने ओली को सलाह दी कि बचे हुए कार्यकाल के लिए पीएम पद का कार्यभार पुष्प कमल दहल प्रचंड को सौंप देना चाहिए जैसा कि 28 महीने पहले सहमति बनी थी।
नए विवादित नक्शे को लेकर कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच मतभेद
नागरिक उड्डयन मंत्री योगेश भट्टाराई और कृषि मंत्री घनश्याम भूसल सहित कई नेताओं ने ओली को पीएम पद छोड़ने की पेशकश की है। भूसल ने कहा कि वह प्रधानमंत्री जिस तरीके से काम कर रहे हैं उससे वह खुश नहीं हैं। चर्चा यह भी है कि नए विवादित नक्शे को लेकर कम्यूनिस्ट पार्टी की राय बंट गई है। कुछ नेताओं का मानना है कि भारत के साथ नेपाल को अपना संबंध खराब नहीं करना चाहिए था। इस नए नक्शे में नेपाल ने भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपना क्षेत्र बताया है। भारत ने इस नए नक्शे को 'दावों का कृत्रिम विस्तार' खारिज कर दिया है। नई दिल्ली मौजूदा माहौल के लिए नेपाल को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी अब नेपाल की है।