मॉन्ट्रियल (कनाडा) : कोविड-19 के प्रसार पर चीन की ओर से दी गईं जानकारियों पर चिकित्सा पेश से जुड़े विशेषज्ञ संदेह जता चुके हैं। विशेषज्ञों की राय है कि चीन ने कोरोना वायरस से प्रसार के बारे में सही जानकारी दुनिया के सामने नहीं रखी और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। कोविड-19 के प्रसार पर भ्रामक रिपोर्ट देने के लिए चीन की आलोचना भी हुई है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोविड-19 के महामारी का रूप धारण करने के लिए चीन को जिम्मेदार बताते आ रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक टाइम्स ऑफ इजरायल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स एडवोकेट इरविन कोट्लर ने कहा है, 'यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैम्पटन के एक शोध सहित इस बात के पुख्ता एवं बाध्यकारी सबूत हैं कि कोविड-19 के प्रसार पर रोकथाम की कार्रवाई यदि चीन में तीन सप्ताह पहले शुरू हुई होती तो इस वायरस के प्रसार में 95 प्रतिशत तक कमी आ गई होती।'
चीन में कई डॉक्टर अब भी लापता
रिपोर्ट के मुताबिक वुहान स्थित सेंट्रल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के निदेशक डॉ. एई फेन ने कई डॉक्टरों को कोविड-19 वायरस के बारे में जानकारी दी। इनमें से एक डॉक्टर ली वेनलिआंग भी थे। संक्रमण के संपर्क में आने के बाद वेनलिआंग की गत फरवरी में निधन हो गया जबकि डॉ. एई हाल ही में लापता हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'एक जनवरी 2020 को डॉ. ली वेनलिआंग को अफवाह फैलाने के लिए फटकार लगाई गई। इसके अलावा उन पर गलत बयान देने का आरोप लगाते हुए उनसे एक पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तलब किया गया। इसी तरह के आरोपों में सात अन्य लोग भी गिरफ्तार हुए। इन लोगों के साथ क्या हुआ, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।'
संक्रमण फैलने के बारे में पहले आगाह किया जा सकता था
यही नहीं, चार जनवरी को हांगकांग यूनिवर्सिटी के संक्रमण केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर हो पाक लेउंग ने इस बात का संकेत दिया कि कोविड-19 का संक्रमण मनुष्य से मनुष्य में हो सकता है, इसके बारे में पहले बताया जा सकता था। साथ ही इसे रोकने के लिए ज्यादा गंभीर एवं निगरानी उपाय किए जा सकते थे। रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सा विशेषज्ञों की इन शुरुआती सलाहों के बावजूद वुहान के म्यून्सिलपल हेल्थ कमीशन ने कई सप्ताह बाद यह कहा कि प्रारंभिक जांच में इस महामारी के मनुष्य से मनुष्य में फैलने के स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं।
चीन की मंशा पर उठे हैं सवाल
बता दें कि कोविड-19 पर चीन के दावे एवं रिपोर्टों पर हमेशा से उंगली उठती रही है। चीन के ही ब्लॉगरों का आरोप है कि इस महामारी के बारे में असली तस्वीर दुनिया के सामने नहीं रखी गई। ब्लॉगरों का आरोप है कि चीन ने कोविड-19 की असलियत दुनिया के सामने नहीं आने दी। यहां तक कि कोरोना वायरस के फैलाव के बारे में मीडिया में कई तरह की रिपोर्ट्स आई हैं। इन रिपोर्ट्स में चीन की मंशा पर संदेह जताया गया है। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि चीन वुहान स्थित अपने सैन्य अस्पताल में जैविक हथियार की टेस्टिंग कर रहा था और इस दौरान गलती से यह वायरस लीक हो गया।