नई दिल्ली : कोरोना वायरस का असर दुनिया के 186 देशों में देखा जा रहा है। इनमें से कुछ देश इस वायरस की चपेट में बुरी तरह आ चुके हैं। पश्चिमी देशों की अगर बात करें तो अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन और इटली सभी इस वायरस के प्रकोप का सामना कर रहे हैं। पश्चिमी देशों में इस वायरस ने सबसे ज्यादा कोहराम इटली में मचाया है। इटली में इस वायरस से 53 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 4827 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में इस बीमारी का संक्रमण तेजी से फैला है और संक्रमित लोगों की लगातार जान जा रही है। इटली इस वायरस से किस कदर चपेट में है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि गत रविवार को एक दिन में यहां 651 लोगों की मौत हो गई।
फरवरी में आधिकारिक रूप से पहला मामला सामने आया
इटली में इस वायरस से तेज संक्रमण का दौर मार्च के शुरुआती सप्ताह से तेजी से फैला। फरवरी के अंत तक इस देश में वायरस से संक्रमित लोगों के बहुत कम मामले सामने आए थे। बाताया जाता है कि इटली में कोरोना वायरस का पहला केस 18 फरवरी को उत्तरी इटली के छोटे शहर कोडेगनों में सामने आया। इसके बाद 29 फरवरी को इस वायरस की चपेट में आए दो लोगों की मौत हो गई। कुछ लोगों का मानना है कि इटली में इस वायरस ने जनवरी महीने में ही दस्तक दे दी थी लेकिन सरकार ने इससे निपटने के लिए फौरी रूप से कदम नहीं उठाए। फरवरी महीने में इस वायरस से कई मौतें हो जाने के बावजूद इटली की सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में स्कूल, कॉलेजों को बंद करने के साथ कुछ नियंत्रित कदम उठाए।
कइयों का मानना है कि सरकार ने देरी से उठाए कदम
इटली में कोरोना वायरस के प्रकोप के लिए बहुत सारे लोग सरकार की देरी से उठाए गए कदम को जिम्मेदार मान रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इटली में कोरोना वायरस का पहला मामले सामने आने से बहुत पहले ही यह बीमारी देश में दस्तक दे चुकी थी। इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के इंफेक्शन डिजीज विभाग के वैज्ञानिक फ्लैविया रिकार्डो का कहना है कि शायद यह वायरस इटली के समाज में कुछ समय पहले आ चुका था और देश जब इंफ्लुएंजा के मामलों से निपट रहा था उसी समय यह वायरस भी प्रकट हो गया। इटली के आपात सेवा के प्रमुख स्टीफनो पैगिला का कहना है कि ऐसा हो सकता है को कोरोना वायरस के शुरुआती मरीजों का उपचार सीजनल फ्लू के रूप में किया गया हो। इस दौरान कोरोना वायरस के पीड़ित उपचार के लिए जिन अस्पतालों में गए वहां से इसका संक्रमण तेजी से फैला होगा।
शुरुआत में सक्रमण पकड़ में नहीं आया
इटली के कुछ अधिकारियों का कहना है कि उनके देश में इस वायरस के इतने सारे मामले इसलिए आए कि 'जब इसकी शुरुआत हुई तब यह पकड़ में नहीं आया और जब तक इसके संक्रमण को लेकर सरकार सजग होती तब तक यह वायरस बड़े पैमाने पर लोगों के बीच फैल चुका था।' रिकार्डो का कहना है कि इटली में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने की यह एक बड़ी वजह हो सकती है।
ज्यादा बुजुर्गों की संख्या भी एक कारण
कुछ लोगों का कहना है कि इटली में बुजुर्गों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के मुताबिक इस देश में वायरस की चपेट में आने से जितने लोगों की मौत हुई है उनकी औसत उम्र 81 साल पाई गई है। एक स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि इटली दुनिया का सबसे ज्यादा बुजुर्गों की आबादी वाला देश है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की जेनिफर बीम का कहना है कि इटली की 23 प्रतिशत आबादी 65 साल से ज्यादा उम्र की है जबकि अमेरिका में यह संख्या 16 फीसद है। माना जाता है कि बुजुर्ग लोगों में युवाओं के मुकाबले प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए वे ज्यादा इस वायरस का शिकार बन रहे हैं।
इटली की जीवनशैली भी जिम्मेदार
इटली में इस बीमारी के तेजी से फैलने के पीछे एक तबका यहां की जीवनशैली को भी कारण मानता है। इटली का खुला समाज है। यह प्राचीन शहरों में से एक है जहां दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां के चर्च और रेस्तरां की लोकप्रियता दुनिया भर में है। पर्यटकों पर किसी तरह की पाबंदी न होने से जाहिर है कि यहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोग पहुंचे होंगे और स्थानीय लोगों से उनका संपर्क हुआ होगा। कोरोना के शुरुआती मरीज सामने आने के तुरंत बाद ही इटली सरकार को पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगा देनी चाहिए थी लेकिन इस तरफ उसने कहीं न कहीं उदासीनता बरती। रिपोर्टों में कहा गया है कि शुरुआती मामले आने के बाद भी रेस्तरां को बंद नहीं किया गया। यह भी बताया जाता है कि शुरू में सरकार के दिशा निर्देशों को वहां के लोगों ने गंभीरता से पालन नहीं किया।