इस्लामाबाद : खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दासू में बुधवार को हुए विस्फोट को दुर्घटना बताने वाले पाकिस्तान का रुख अब बदल गया है। पाकिस्तान का कहना है कि शुरुआती जांच में बस के अंदर विस्फोटक सामग्री के अंश मिले हैं और इसे आतंकवादी घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान के रुख में यह बदलाव तब आया है जब चीन ने कहा है कि वह इस विस्फोट की जांच के लिए अपना एक दल भेजेगा। बस में हुए विस्फोट में चीन के नौ नागरिक सहित 13 लोग मारे गए हैं। विस्फोट के बाद पाकिस्तान ने कहा कि बस में गैस का रिसाव होने से ब्लास्ट की यह घटना हुई।
दासू विस्फोट, आतंकी घटना से इंकार नहीं-चौधरी
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'दासू विस्फोट की शुरुआती जांच में विस्फोटक के अंश मिलने की बात स्पष्ट हुई है। इसे आतंकवादी घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री इमरान खान व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। हमारी सरकार चीनी दूतावास के साथ संपर्क में है। चीन और पाकिस्तान मिलकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।'
चीन भेजेगा विशेषज्ञों का दल
विस्फोट में अपने नागरिकों को खोने वाला चीन चाहता है कि इस मामले की असलियत सामने आए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, 'विस्फोट मामले में मदद पहुंचाने के लिए चीन का एक दल पाकिस्तान जाएगा। विस्फोट किस वजह से हुई इसका पता लगाया जाएगा। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा की समीक्षा भी की जाएगी। हमने पाकिस्तान सरकार से इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए कहा है।'
विस्फोट में चीन के 9 नागरिक मारे गए हैं
बता दें कि निर्माणाधीन दासू बांध परियोजना स्थल के लिए चीनी इंजीनियरों और श्रमिकों को ले जा रही बस में विस्फोट होने से नौ चीनी नागरिकों और फ्रंटियर कॉर्प्स के दो सैनिकों सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। इस विस्फोट में करीब 39 अन्य घायल हुए। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि घटना के बाद बस गहरी खाई में गिर गई।
कुरैशी ने अपनी चीनी समकक्ष को दी जानकारी
दुशांबे में एससीओ बैठक से इतर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी चीनी समकक्ष वांग यी को विस्फोट मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 'यह एक दुर्घटना थी, आतंकवादी हमले की आशंका नहीं है।' संवेदनशील मसलों पर एक राय रखने वाले चीन और पाकिस्तान के बीच सार्वजनिक रूप से विरोधाभासी बयान कम ही देखने को मिलता है।