नई दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कारगिल युद्ध पर अपनी सेना की भूमिका पर बयान दिया है। उनका यह बयान सेना को नागवार लग सकती है। इमरान खान ने कहा है कि कारगिल युद्ध के समय यदि वह प्रधानमंत्री होते और सेना प्रमुख ने बिना उनसे पूछे हमला किया होता तो वह आर्मी चीफ को बर्खास्त कर दिए होते। इमरान खान ने यह बात गुरुवार को एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में कही। इमरान खान पर सेना की कठपुतली होने के आरोप लगते आए हैं और विपक्ष उन्हें 'इलेक्टेड नहीं बल्कि सेलेक्टेड' पीएम बताता है।
'नवाज शरीफ लोकतांत्रिक नेता नहीं'
इमरान ने कहा, 'पाकिस्तान सेना एक संस्थान है जो एक लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन करती है। नवाज शरीफ कभी एक लोकतांत्रिक नेता नहीं रहे। विपक्षी पार्टियां कभी भी लोकतांत्रिक राजनीति में शामिल नहीं रहीं।' पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ की नेतृत्व वाली सरकार और सेना के बीच मौजूदा तस्वीर पर इमरान ने कहा कि दोनों के बीच काफी बेहतर तालमेल है। उन्होंने कहा, 'इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है।'
इमरान ने नवाज शरीफ पर लगाए आरोप
पिछली सरकारों पर हमला बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि 'कारगिल के समय यदि वह पीएम होते और सेना प्रमुख ने बिना उनसे पूछे हमला किया होता तो वह उन्हें बर्खास्त कर दिए होते।' खान ने कहा कि शरीफ जब भी प्रधानमंत्री रहे उनकी सेना प्रमुखों के साथ कभी नहीं बनी। वह सभी संस्थाओं पर अपना नियंत्रण चाहते थे। उन्होंने कहा, 'नवाज शरीफ विदेश में हैं और उन्होंने सेना के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है, वह दूसरे 'एमक्यूएम' हैं।'
'मेरी सरकार में नवाज को राहत नहीं'
इमरान ने कहा कि सेना एक सरकारी संस्थान है और सरकार चलाने के लिए उन्हें जिस किसी भी संस्थान की जरूरत होगी वह उसकी सेवाएं लेंगे। खान ने कहा कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुने गए नेता हैं और कोई उनसे इस्तीफा नहीं मांग सकता। नवाज शरीफ ने झूठ के आधार पर देश छोड़ा है वह उन्हें राहत नहीं देने वाले हैं।