विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार (19 अगस्त) को यूएनएससी में आतंकवाद के चलते अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरों पर ब्रीफिंग की। उन्होंने कहा कि दुनिया परसों आतंकवाद के पीड़ितों के लिए स्मरण और श्रद्धांजलि का चौथा अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाएगी। अगले महीने 9/11 त्रासदी का 20 साल पूरा होगा। भारत में 2008 मुंबई हमला, 2016 पठानकोट एयरबेस हमला, 2019 पुलवामा में हमारे जवानों पर आत्मघाती हमले हुए। दुनिया को इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत, आतंकवाद से जुड़े चुनौतियों और नुकसान से अत्याधिक प्रभावित रहा है। भारत मानता है कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। आतंकवाद के सभी रूपों, अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए, इसे किसी भी तरह न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
जयशंकर ने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर करते हैं, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। आईएसआईएस का वित्तीय संसाधन जुटाना और अधिक मजबूत हुआ है, हत्याओं का इनाम अब बिटकॉइन के रूप में भी दिया जा रहा है। व्यवस्थित ऑनलाइन प्रचार अभियानों के जरिए कमजोर युवाओं को कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल करना गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान की स्थिति पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत के अफगानों के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं और ये उनके विचारों और दृष्टिकोण को प्रभावित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल सारा ध्यान अफगानिस्तान में मौजूद भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर केन्द्रित है।
उन्होंने कहा कि हमारे अफगानों के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं और मुझे लगता है कि वे संबंध हमारे विचार और दृष्टिकोण को प्रभावित करते रहेंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि हम इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों, विशेष रूप से अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि हवाईअड्डे (काबुल) पर फिलहाल उसका नियंत्रण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान से भारतीयों की स्वदेश वापसी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यूएनएससी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रतिबंधित हक्कानी नेटवर्क की बढ़ी हुई गतिविधियां इस बढ़ती चिंता को सही ठहराती हैं। चाहे वह अफगानिस्तान हो या भारत, लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद काम करना जारी रखे हुए है।
हमारे अपने पड़ोस में, आईएसआईएल-खोरासन (ISIL-K) अधिक ताकवर हो गया है और लगातार अपना विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए उनके निहितार्थों के बारे में वैश्विक चिंताओं को स्वाभाविक रूप से बढ़ा दिया है।