ब्रसेल्स : यूरोप महाद्वीप कोविड-19 महामारी का वैश्विक केंद्र बना हुआ है क्योंकि कई देशों में रिकॉर्ड स्तर पर मामले बढ़ रहे हैं। लगभग दो वर्ष की पाबंदियों के बावजूद संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और यह स्वास्थ्य संकट टीकाकरण करवा चुके लोगों और उन लोगों को आमने-सामने ला रहा है जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया है।
पहले से भार तले दबी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बचाने के प्रयास में सरकारें ऐसे नियम लागू कर रही है जो टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोगों के लिए विकल्पों को सीमित कर देते हैं, सरकारों को उम्मीद है कि ऐसा करने से टीकाकरण की दर बढ़ेगी। इसी कड़ी में शुक्रवार को ऑस्ट्रिया ने एक फरवरी से टीकाकरण को अनिवार्य बना दिया है। यहां के चांसलर एलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने इस कदम को वायरस की लहरों के दुष्चक्र को तोड़ने का इकलौता तरीका बताया।
यूरोपीय संघ में टीकाकरण अनिर्वाय करने वाला ऑस्ट्रिया इकलौता देश है लेकिन कई देशों की सरकारें पाबंदियां लगा रही हैं। स्लोवाकिया ने गैर जरूरी सामान की सभी दुकानों और शॉपिंग मॉल में उन लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी, जिन्हें कोविड रोधी टीके नहीं लगे हैं। ऐसे लोग सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी नहीं जा सकेंगे और काम पर जाने के लिए भी उन्हें दो बार जांच करवानी होगी। प्रधानमंत्री एडुआर्ड हेगर ने इन कदमों को 'टीकाकरण नहीं करवाने वालों के लिए लॉकडाउन' बताया।
स्लोवाकिया की 55 लाख की आबादी में से महज 45.3 फीसदी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। यहां मंगलवार को रिकॉर्ड 8,342 नए मामले सामने आए। सिर्फ मध्य और पूर्वी यूरोप के देश ही नहीं हैं जो वायरस के प्रकोप को झेल रहे हैं बल्कि पश्चिम के सम्पन्न देश भी वायरस से प्रभावित हैं और एक बार फिर पाबंदियां लगा रहे हैं। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने गुरुवार को कहा, 'अब कदम उठाने का वक्त है।'
यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोगों के लिए गुरुवार को नई पाबंदियों की घोषणा की, जिनके मुताबिक ऐसे लोग जांच में संक्रमित नहीं पाए जाने के बावजूद बार, रेस्टोरेंट, सिनेमा, थियेटर, संग्रहालय और जिम नहीं जा सकेंगे। चेक गणराज्य में टीके नहीं लगवाने वाले लोगों पर लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ इस हफ्ते प्राग में दस हजार लोगों ने प्रदर्शन किए।