नई दिल्ली: अफगानिस्तान में नई सरकार का गठन हो चुका है और इसकी अगुवाई मुल्ला हसन अखुंद (कार्यवाहक प्रधानमंत्री) कर रहा है जिसका नाम संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल है। इसी तरह कैबिनेट में तमाम चेहरे ऐसे हैं जो दुनिया के वांछित आतंकवादियों की लिस्ट में शुमार है। इनमें एक नाम है तालिबान के संस्थापक सदस्य मुल्ला उमर के बेटे मोहम्मद याकूब का, जिसे देश का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है। याकूब वह आतंकी है जिसके कश्मीरी आतंकवादी सगंठन लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद से गहरे संबंध रहे हैं।
मुल्ला उमर का बेटा
याकूब उसी मुल्ला उमर का बेटा है जिसने 1999 में एयर इंडिया विमान IC-814 के अपहरण की साजिश रची थी। याकूब को पाकिस्तान का हमेशा से ही पूरा समर्थन रहा है। दरअसल तालिबान ने अपनी नई सरकार का गठन तब किया जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईसएआई के मुखिया वहां पहुंचे। उनकी सलाह के बाद तालिबान ने सरकार का गठन किया। रक्षा मंत्री याकूब तालिबान के सैन्य अभियानों की अगुवाई करता रहा है। अब पहली बार याकूब की तस्वीर सामने आई है।
रक्षा मंत्री के पद को लेकर हुआ था घमासान
मुल्ला मोहम्मद याकूब और हक्कानी नेटवर्क के सरगना तथा अफगानिस्तान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच रक्षा मंत्री के पद को लेकर काफी लंबी खींचतान चली थी और अंत में पाकिस्तान के दवाब के कारण याकूब को रक्षा मंत्री का पद मिल गया। कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन खुद याकूब के पिता मुल्ला उमर का करीबी बताया रहा है। अफगानिस्तान में मुल्ला याकूब के इशारे पर अफगान सेना पर कई बार तालिबान ने भीषण हमले किए थे। तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं।
आईएसआई का पूरा हाथ
अंतरिम सरकार की घोषणा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हमीद की पिछले सप्ताह की अघोषित काबुल यात्रा के बाद की गयी है। हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष नेताओं, जिनके बारे में समझा जाता है कि उनके आईएसआई से संबंध है, को शामिल करना पाकिस्तान खासकर उसकी खुफिया एजेंसी का तालिबान पर प्रभाव का संकेत है।