नई दिल्ली : अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल देने और वहां नई सरकार बनाने में पाकिस्तान की बेचैनी छिपी नहीं है। वह राजधानी काबुल में ऐसी सरकार गठित कराने की फिराक में है जो उसके इशारे काम करे। ऐसी रिपोर्टें हैं कि पंजशीर घाटी में पाकिस्तानी सेना ने दखल दी है। पंजशीर घाटी में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी की खबरों पर ईरान ने सवाल उठाए हैं। यही नहीं, ईरान ने काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी की घेरेबंदी का विरोध करते हुए इसके सैन्य समाधान की जगह बातचीत का रास्ता सुझाया है।
हम विदेशी दखल की जांच करेंगे-ईरान
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक पंजशीर घाटी में तालिबान एवं पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका पर सवाल उठाने वाला ईरान दुनिया का पहला देश बना है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतिब्जादेह ने सोमवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, 'बीती रात के विदेशी दखल और हमले की कड़े शब्दों में निंदा की जाती है। इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए। हम इसकी जांच कर रहे हैं।'
तालिबान का पंजशीर पर पूरी तरह नियंत्रण का दावा
तालिबान ने सोमवार को पंजशीर पर पूरी तरह नियंत्रण कर लेने का दावा किया। यहां एनआरएफ के नेता अहमद मसूद और अपदस्थ उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के लड़ाके तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे थे। तालिबान ने पंजशीर घाटी में दाखिल होने की कई बार कोशिश की। एनआरएफ का कहना है कि उसने संघर्ष में तालिबान को भारी नुकसान पहुंचाया। राजधानी काबुल पर 15 अगस्त को नियंत्रण करने के बाद तालिबान पंजशीर पर कब्जा करने की कोशिश में था लेकिन एनआरएफ के प्रतिरोध के चलते उसे अपने पैर पीछे खींचने पड़े।
पाक सेना ने तालिबान की मदद की
ऐसी रिपोर्टें हैं कि जिनमें दावा किया गया है कि पाकिस्तान सेना ने पंजशीर घाटी में तालिबान की मदद की है। रविवार रात हुई लड़ाई में अहमद मसूद के करीबी एवं एनआरएफ के प्रवक्ता फहीम दश्ती सहित कई बड़े नेता एवं कमांडर मारे गए। मसूद ने अपने एक ट्वीट में कहा कि वह सुरक्षित हैं। उन्होंने इस हमले के लिए पाकिस्तान को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि तालिबान में इतनी ताकत नहीं है कि वह हमसे मुकाबला कर सके। तालिबान का नेतृत्व पाकिस्तानी सेना एवं आईएसआई कर रही है।
अफगानिस्तान का पड़ोसी देश है ईरान
ईरान का यह बयान पाकिस्तान को परेशान कर सकता है क्योंकि उसकी दखलंदाजी को लेकर अभी तक किसी देश ने सवाल नहीं किए थे। पाकिस्तान के आईएसआई चीफ फैज हमीद ने काबुल का दौरा किया है। समझा जाता है कि फैज का यह दौरा नई सरकार के गठन में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए हुआ है। बताया जा रहा है कि सरकार गठन को लेकर तालिबान के अलग-अलग गुटों में सहमति नहीं बना पा रही है। ईरान ने हाल के दिनों में तालिबान समर्थित बयान दिए हैं। साथ ही वह पड़ोसी देश में अपना प्रभाव भी बनाए रखना चाहता है।