नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सरक्षा परिष्द (UNSC की इस महीने की अध्यक्षता भारत को मिली है। बैठक की तैयारी के सिलसिले में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो रहे हैं। यूएनएससी की यह अहम बैठक 18 और 19 अगस्त को होनी है। अफगानिस्तान (Afghanistan) के ताजा हालात को देखते हुए भारत के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिलना काफी अहम माना जा रहा है। भारत इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा (Maryitime security) और अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) एवं विदेशी आतंकवादियों के मसले पर चीन और पाकिस्तान दोनों को कूटनीतिक रूप से घेर सकता है।
अफगान विदेश मंत्री ने भारत से मदद मांगी
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने जयशंकर को फोन कर भारत से मदद मांगी है। अतमार ने कहा है कि तालिबान विदेशी आतंकवादियों के साथ मिलकर देश में लोगों पर हमले और अत्याचार कर रहा है। उन्होंने तालिबान की हिंसा पर यूएनएससी की आपात बैठक बुलाने की भारत से मांग की है। रिपोर्टों के मुताबिक अफगानिस्तान के विदेश मंत्री का कहना है कि तालिबान, लश्कर ए तैयबा जैसे अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर सुरक्षाबलों एवं आम नागरिकों पर हमले कर रहा है। इससे देश में हालात अत्यंत तनावपूर्ण हो गए हैं। अतमार ने भारत के अलावा अन्य देशों के राजदूतों को अफगानिस्तान के ताजा हालात की जानकारी दी है।
अतमार ने यूएनएससी का आपात सत्र बुलाने की मांग की
अफगान विदेश मंत्रालय ने कहा कि अतमार ने युद्धग्रस्त देश में तालिबान और विदेशी आतंकवादी समूहों के हमलों से तेजी से बिगड़ रही स्थिति के बारे में बातचीत की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का आह्वान किया। अतमार ने मंगलवार को अपने एक ट्वीट में कहा, ‘भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर के साथ अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपात सत्र बुलाने के बारे में चर्चा की। ’ उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र एवं अंतराष्ट्रीय बिरादरी को तालिबान की हिंसा एवं अत्याचार से सामने आ रही त्रासदी को रोकने के लिए महती भूमिका निभानी चाहिए। सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका की सराहना करता हूं।’
एजेंडे में अहम होगा तालिबान मुद्दा
समझा जाता है कि भारत की अध्यक्षता में होने वाली सुरक्षा परिषद के एजेंडे में अफगानिस्तान मुख्य मुद्दा होगा। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए सदस्य देश कोई अहम फैसला कर सकते हैं। या समस्या के समाधान के लिए राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जा सकता है जिसमें तालिबान के शामिल होने की बात की जा सकती है। भारत अफगानिस्तान में जारी हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठा चुका है। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह बलपूर्वक अफगानिस्तान में सत्ता का बदलाव स्वीकार नहीं करेगा।