काबुल : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से भाग रहे हजारों हताश लोगों को निशाना बनाकर किए गए दो आत्मघाती बम धमाकों और इनमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत के एक दिन बाद लोगों को निकालने के लिए राजधानी काबुल से उड़ानें शुक्रवार को फिर से शुरू हो गईं। अमेरिका का कहना है कि देश के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी की मंगलवार की समय सीमा से पहले और हमले होने की आशंका है।
पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए दो अधिकारियों ने कहा कि धमाकों में 169 लोग मारे गए। कई शवों की पहचान नहीं हो पायी है या क्षत विक्षत शवों के कारण अंतिम संख्या के बारे में समय लग सकता है। अमेरिका ने कहा है कि अगस्त 2011 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में, काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बृहस्पतिवार के बम धमाकों में उसके 13 सैनिक मारे गए।
काबुल के वजीर अकबर खान अस्पताल के बाहर कम से कम 10 शव मैदान पर पड़े हुए थे, जहां रिश्तेदारों ने बताया कि मुर्दाघरों ने और शव लेने से मना कर दिया है। अफगानों ने कहा कि मृतकों में से कई के शव लावारिस पड़े हैं क्योंकि परिवार के सदस्य दूरस्थ प्रांतों से आ रहे हैं। काबुल से प्रस्थान करने वाले विमानों की आवाज़ और गूंजती प्रार्थना के बीच, हवाई अड्डे के बाहर व्याकुल भीड़ देश से निकलने का इंतजार कर रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार रात एक भावुक भाषण में इस्लामिक स्टेट समूह के अफगानिस्तान में संबद्ध संगठन को दोषी ठहराया, जो तालिबान की तुलना में कहीं अधिक कट्टरपंथी है। बाइडन ने कहा, 'हम अमेरिकियों को सुरक्षित निकालेंगे, हम अपने अफगान सहयोगियों को बाहर निकालेंगे और हमारा अभियान जारी रहेगा, लेकिन मंगलवार 31 अगस्त की समय-सीमा बढ़ाने के अत्यधिक दबाव के बावजूद उन्होंने अपनी योजना पर कायम रहने के पीछे आतंकवादी हमलों को कारण बताया।'
अमेरिकी आक्रमण में बेदखल होने के दो दशक बाद अफगानिस्तान को फिर से नियंत्रण में लेने वाले तालिबान ने समय सीमा कायम रखने पर जोर दिया। फरवरी 2020 में ट्रंप प्रशासन ने तालिबान के साथ एक समझौता किया जिसमें मई तक सभी अमेरिकी सैनिकों और अनुबंधकर्ताओं को हटाने के बदले में अमेरिकियों पर हमलों को रोकने के लिए कहा गया था। बाइडन ने अप्रैल में घोषणा की कि वह उन्हें सितंबर तक हटा लेंगे।
अमेरिका ने कहा है कि उसने काबुल से 1,00,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला है, वहीं हजारों लोग इतिहास के सबसे बड़े हवाई अभियान में से एक में खुद को बाहर निकाले जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। व्हाइट हाउस ने शुकवार को कहा कि पिछले 24 घंटे में अमेरिकी सैन्य विमानों के जरिए 8500 लोगों के साथ ही सहयोगी देशों के विमानों से करीब 4,000 लोगों को निकाला गया।
देश से निकलने के लिए शुक्रवार को हवाईअड्डे पर और लोग पहुंचे। एक जगह हवाई अड्डे से करीब 500 मीटर की दूरी पर भारी हथियारों के साथ तालिबान के दर्जनों सदस्य किसी को भी आगे बढ़ने से रोक रहे थे। निकासी अभियान की निगरानी कर रही अमेरिकी केंद्रीय कमान के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकेन्जी ने कहा है कि और हमले होने की आशंका है तथा अमेरिकी सैनिक इन संभावित हमलों को रोकने के लिए तालिबान के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
स्वीडन के विदेश मंत्री ने भी कहा कि खतरा है लेकिन विस्तार से नहीं बताया। कई लोगों ने माना कि हवाई अड्डा जाना जोखिम भरा है लेकिन कहा कि उनके पास विकल्प बहुत सीमित हैं। हवाईअड्डे पर मची अफरा-तफरी के खौफनाक दृश्यों ने दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। गंदे नालों में घुटने तक भरे पानी में खड़े लोगों की तस्वीरें और दस्तावेज थामे परिवारों और यहां तक कि छोटे बच्चों को बारीक कांटेदार तारों तक अमेरिकी सैनिकों के पीछे जाते देखना, देश में अमेरिकी उपस्थिति के अंतिम दिनों की अव्यवस्था और अपने भविष्य के लिए अफगानों के डर, दोनों का प्रतीक है।
ब्रिटेन ने शुक्रवार को कहा कि वह काबुल हवाईअड्डे से निकासी के अंतिम चरण में है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कागजी कार्रवाई बंद कर दी गई है क्योंकि अब ध्यान ब्रिटिश नागरिकों और अन्य लोगों को निकालने पर है, जिनके आवेदन पर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वलेस ने कहा कि शुक्रवार को 'आठ या नौ' विमान उड़ान भरेंगे। ब्रिटेन के सैनिक अगले कुछ दिनों में अफगानिस्तान से निकल जाएंगे।
इटली के विदेश मंत्री ने लोगों को निकालने का अभियान खत्म होने की पुष्टि की। काबुल से निकाले गए लोगों के साथ इटली की आखिरी उड़ान रोम पहुंच गई। तालिबान ने कहा है कि वे अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानों को वाणिज्यिक उड़ानों से जाने की अनुमति देंगे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि तालिबान नियंत्रित हवाईअड्डे पर किस देश का विमान पहुंचेगा।