वुहान : चीन के वुहान में जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है, जहां कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था। यहां संक्रमण के मामलों में कमी आने के बाद प्रतिबंधों में छूट दी गई और फिर लॉकडाउन को पूरी तरह हटा लिया गया, जिसके बाद यहां लोग अब 'आजाद' महसूस कर रहे हैं। इसकी खुशी में यांगतेज नदी के किनारे लाइट शो का आयोजन किया गया तो गगनचुंबी इमारतों और पुलों पर ऐसी छवियां दर्शाई गईं, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी मरीजों को ले जाते दिखाई दिए। लोगों ने राष्ट्रगान गाए तो झंडे भी लहराए। इस बीच 'वुहान आगे बढ़ो' के नारे भी सुने गए।
वुहान में लोगों को मिली 'आजादी'
वुहान में लॉकडाउन मंगलवार की मध्यरात्रि से औपचारिक तौर पर समाप्त हो गया, जिसके बाद यहां के लगभग 1.1 करोड़ लोगों को अब कहीं भी आने जाने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत नहीं होगी, बजाय अनिवार्य स्मार्ट फोन एप्लिकेशन के, जिससे यह पता चलता है कि लोग स्वस्थ हैं और वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं। हालांकि चीन में खतरा अभी टला नहीं है और इसे लेकर लोगों को लगातार चेताया जा रहा है। खतरे की ऐसी ही आशंका के मद्देनजर चीन ने एक तरफ वुहान में लॉकडाउन हटाया तो अपने एक अन्य शहर में कई प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इस शहर में लगा प्रतिबंध
चीन का यह शहर उत्तरी प्रांत हीलॉन्गजियांग में है, जिसकी सीमा रूस से लगती है। यहां कोरोना वायरस के 'आयातित' मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, जहां एक दिन में 25 नए मामले सामने आए हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यहां रूस से आने वाले यात्रियों से संक्रमण फैलने का खतरा है, जिसे देखते हुए सुईफेन्हे शहर में उसी तरह लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जैसे कि वुहान में 23 जनवरी को किया गया था। यहां लोगों को अपने घरों में ही रहने को कहा गया है और परिवार के केवल एक शख्स को हर तीन दिन पर आवश्यक चीजों की खरीदारी के लिए बाहर जाने की अनुमति होगी और उसे दिन घर भी लौटना होगा।
सोशल मीडिया पर चिंता
एक शख्स ने चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'वीबो' पर लिखा है, 'पूरा देश जब वुहान से लॉकडाउन खत्म होने का जश्न मना रहा है, बहुत कम लोगों को मालमू है कि हीलॉन्गजियांग में लोगों पर कितना दबाव है, जो सीमा पार से संक्रमण के मामलों को लेकर जूझ रहे हैं।' चीन के इस उत्तरी प्रांत के शहर सुईफेन्हे के बारे में कहा जाता है कि इस छोटे से शहर में उच्च स्तरीय अस्पताल भी नहीं हैं और ऐसे में अगर यहां मरीजों की संख्या बढ़ती है तो न जानें किस तरह इस स्थिति से निपटा जाएगा।