काठमांडू : नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि कालापानी क्षेत्र का विवाद समाप्त करने के लिए भारत को जल्द से जल्द वार्ता शुरू करनी चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि इस विवाद का हल निकालन के लिए नेपाल की तरफ से कई दफे कोशिशें की गईं लेकिन नई दिल्ली की तरफ से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि साल 1947 में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय संधि आज के माहौल में 'निरर्थक' हो गई है। इस संधि के चलते नेपाल के गोरखा भारतीय सेना में भर्ती होते हैं। उन्होंने कहा कि काठमांडू इस मसले का हल द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत के जरिए निकालना पसंद करेगा।
'अतीत में कुछ मुद्दे अनसुलझे रह गए'
नेपाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस की तरफ से वेबिनॉर के जरिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 'अतीत में कुछ मुद्दे अनसुलझे रह गए' और इसकी वजह से भारत के साथ सीमा विवाद की स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने कहा, 'हम भारत से अभी भी वार्ता शीघ्र करने का अनुरोध कर रहे हैं ताकि यह विवाद लंबा न खिंचे। सीमा विवाद पर मसले पर औपचारिक रूप से राजनयिक बातचीत बेहद जरूरी है।'
नेपाल ने दोनों सदनों से पारित किया है संशोधन विधेयक
बता दें कि नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा एवं लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताते हुए अपने नए नक्शे में शामिल किया है। इन क्षेत्रों को अपने नक्शे में शामिल करने के लिए उसने अपने संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया। इसके बाद इस संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने हस्ताक्षर किए जिसके बाद यह विधेयक कानून बन गया।
भारत ने बताया 'दावों का कृत्रिम विस्तार'
नेपाल के इस कदम को भारत ने खारिज कर दिया। भारत ने काठमांडू के इस कदम को 'दावों का कृत्रिम विस्तार' बताते हुए खारिज कर दिया। नई दिल्ली ने कहा कि मौजूदा रिश्ते में तनाव के लिए नेपाल जिम्मेदार है और बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी उसके कंधो पर है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस दौरान ऐसे कई बयान दिए जिससे दोनों देशों के रिश्तों में कटुता बढ़ती गई। यही नहीं सीमा पर नेपाल सशस्त्र बलों ने कई दफे फायरिंग की जिसमें एक भारतीय नागरिक मौत हुई जबकि कई लोग घायल हुए।