इस्लामाबाद: अवैध प्रवेश या फर्जी यात्रा दस्तावेज होने सहित विभिन्न क्षेत्रों के कारण 2015 से अब तक 138 देशों से 6,18,877 पाकिस्तानियों को निर्वासित किया गया है। कुल आंकड़ों में से 72 प्रतिशत से अधिक उन सात देशों से हैं, जिन्हें पाकिस्तान अपना 'मित्र' कहता है। ये देश हैं- सऊदी अरब, ओमान, यूएई, कतर, बहरीन, ईरान और तुर्की। यहां से सबसे अधिक पाकिस्तानी विभिन्न कारणों से निर्वासित किए गए हैं।
न्यूज इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अधिकारियों का कहना है कि इन निर्वासितों को शायद विदेशों में पाकिस्तान मिशनों का उचित समर्थन नहीं मिल सका, जिस वजह से हाल के वर्षों में निर्वासन में खतरनाक वृद्धि हुई है।
पिछले छह साल में पाकिस्तानियों का सऊदी अरब से औसत निर्वासन 321,590 हो गया है, जो कुल निर्वासन का 52 प्रतिशत है। जो प्रतिदिन के हिसाब से 147 होता है। सऊदी अरब से 2015 में 61 हजार 403, 2016 में 57 हजार 704, 2017 में 93 हजार 736, 2018 में 50 हजार 944, 2019 में 38 हजार 470 और पिछले साल 19 हजार 333 पाकिस्तानियों को निर्वासित किया गया था।
जियो न्यूज के मुताबिक, एफआईए के अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न देशों, खासकर सऊदी अरब और यूएई की सरकारों द्वारा अपनाई गई नई आव्रजन नीतियों ने प्रवासियों के लिए समस्याएं पैदा की हैं।
कुछ प्रवासी आमतौर पर उनके एजेंटों या मानव तस्करों द्वारा तैयार किए गए संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर दूसरे देशों में प्रवेश पाने में कामयाब रहे, जबकि कुछ निर्वासित लोगों ने अपने अवैध प्रवास को लंबा करने के लिए जानबूझकर अपने दस्तावेजों को गलत तरीके से रखा।