पेरिस : आतंकवाद के मसले पर पूरी तरह विफल पाकिस्तान को जोरदार झटका लगा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला लिया गया है। एफएटीएफ का यह फैसला जताता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की है। पिछले दो साल से पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना हुआ है।
पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका है। पाकिस्तान पिछले दो साल से लगातार FATF की ग्रे सूची में बना हुआ है, जिसके कारण उसकी आर्थिक कमर और टूट रही है। FATF की ग्रे लिस्ट में होने के कारण उसे मिलने वाले विदेशी निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही आयात, निर्यात और IMF तथा ADB जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेने की उसकी क्षमता भी प्रभावित हो रही है। पहली बार उसे जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में रखा गया था।
FATF ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम को लेकर जो शर्तें तय की गई थीं, उन्हें पूरा करने के लिए दी गई समय सीमा बीत चुकी है। FATF ने अब पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक सभी शर्तें पूरी करने को कहा है।
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस्लााबाद में शुक्रवार शाम को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई को लेकर FATF ने जो 27 प्रमुख बिंदु तय किए हैं, उनमें से 21 को पूरा कर लिया गया है।
आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान के लिए 27 मापदंड तय किए गए थे। एफएटीएफ की बैठक इससे पहले फरवरी में हुई थी, जिसमें गया कि पाकिस्तान ने अब तक सिर्फ 14 निर्देशों को पूरा। शेष 13 शर्तों को लागू करने के लिए उसे चार अतिरिक्त माह का वक्त दिया गया था।
हालांकि आठ माह बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान ने इनमें से 6 प्रमुख बिंदुओं पर अब भी काम नहीं किया है, जिसे देखते हुए उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला लिया गया है। FATF की बैठक इस साल जून में भी हुई थी, जिसमें शर्तें पूरी नहीं किए जाने पर पाकिस्तान को फिर ग्रे सूची में ही रखने का फैसला लिया गया था।