पाक धर्मगुरु का बेतुका बयान, कहा- नग्नता और अश्लीलता की वजह से कोरोना वायरस अल्लाह का प्रकोप

दुनिया
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Updated Apr 25, 2020 | 23:28 IST

मौलाना जमील के पाकिस्तान में बड़ी संख्या में समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि अश्लीलता और नग्नता की वजह से कोरोना वायरस के रूप में अल्लाह का कहर आया है।

Pakistani Maulana says Angry with obscenity, nudity, Allah sent Corona
'नग्नता और अश्लीलता की वजह से कोरोना वायरस अल्लाह का प्रकोप' 
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस अल्लाह का प्रकोप है जो अश्लीलता और नग्नता बढ़ने की वजह से आया- मौलाना जमील
  • प्रधानमंत्री इमरान खान की उपस्थिति में किया मौलाना ने यह दावा
  • अधिकारी कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने उनके इस बयान की आलोचना की

लाहौर: पाकिस्तान के प्रमुख धर्मगुरु ने बेतुका बयान देते हुए दावा किया कि कोरोना वायरस अल्लाह का प्रकोप है जो अश्लीलता और नग्नता बढ़ने की वजह से आया। धार्मिक नेता मौलाना तारिक जमील ने 23 अप्रैल को कोविड-19 से लड़ने के लिए चंदा जुटाने के लिए आयोजित टेलीथॉन में प्रधानमंत्री इमरान खान की उपस्थिति में यह दावा किया जिसकी अधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संस्थाओं के सदस्यों ने निंदा की है।

मौलाना जमील के पाकिस्तान में बड़ी संख्या में समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि अश्लीलता और नग्नता की वजह से कोरोना वायरस के रूप मेंअल्लाह का कहर आया है। मौलाना जमील ने कहा, ‘कौन मेरे देश की बेटी से नृत्य करवा रहा है। उनके कपड़े छोटे होते जा रहे हैं। अल्लाह का कोप तब होता है जब समाज में अश्लीलता सामान्य चीज हो जाती है।’ अधिकारी कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने उनके इस बयान को मुस्लिम बहुल देश में आधी आबादी महिलाओं के खिलाफ ‘‘संवेदनहीन और अपमानजनक’’ करार दिया।

बैरिस्टर और कानून एवं न्याय संसदीय सचिव मलीका बोखारी ने ट्वीट किया, ‘महामारी के प्रसार को कभी भी और किसी भी परिस्थिति में किसी महिला की धर्मनिष्ठता या नैतिकता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इस तरह का संबंध स्थापित करना खतरनाक है जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध जारी है और उसपर कोई सजा नहीं होती। संघीय मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजरी ने कहा, ‘हम इस तरह के भद्दे आरोपों के बहाने महिलाओं को निशाना बनाने को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। हमने पाकिस्तान के संविधान में प्रतिष्ठापित अपने अधिकार के लिए कठिन लड़ाई की है।’ 

पाकिस्तान की महिलाओं के खिलाफ मौलाना की बेतुकी टिप्पणी की आलोचना करते हुए मजरी ने कहा कि यह या तो महामारी के बारे में अज्ञानता को दर्शाता है या गलत मानसिकता को जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। आसमा जहांगीर विधि सहायता प्रकोष्ठ की निदेशक निदा अली ने कहा कि लॉकडाउन में रह रही महिलाओं को समुदाय से सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा, सरकार ने तारिक जमील का व्यापक टेलीविजन कार्यक्रम चलाया, जिसमें न केवल महिलाओं पर आपत्तिजनक बात कही गई, बल्कि उन्हें और उनके व्यक्तिवादी कार्यों को ईश्वर का प्रकोप और कोविड-19 महामारी के रूप सजा होने की घोषणा की गई। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी जलील के बयान को आपत्तिजनक और अस्वीकार्य करार दिया।

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