वाशिंगटन : अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारत के उनके समकक्ष एस जयशंकर ने इस हफ्ते में दूसरी बार अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा की और वे इस मामले पर करीबी समन्वय जारी रखने पर सहमत हुए। तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर रविवार को कब्जा जमा लिया था। 20 साल तक चले युद्ध के बाद अमेरिकी सेना के वापस जाने पर हुई तालिबान की इस जीत ने काबुल हवाईअड्डे पर अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया जहां से अमेरिका और अन्य सहयोगी देश अपने हजारों नागरिकों और सहयोगियों को वहां से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश में हैं।
भारत मंगलवार को अपने राजदूत रुद्रेंद्र टंडन और दूतावास के अपने कर्मियों को काबुल से सेना के विमान से वापस ले गया। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा करने के लिए जयशंकर से बृहस्पतिवार को फोन पर बातचीत की। उन्होंने बातचीत का ब्यौरा देते हुए एक बयान में कहा, 'ब्लिंकन और जयशंकर ने अफगानिस्तान पर चर्चा की और समन्वय जारी रखने पर सहमति जतायी।'
बातचीत के बाद ब्लिंकन ने ट्वीट किया, 'डॉ. जयशंकर के साथ गुरुवार को अफगानिस्तान के बारे में सार्थक बातचीत की। हम करीबी समन्वय जारी रखने पर सहमत हुए।' ब्लिंकन और जयशंकर ने इससे पहले सोमवार को बातचीत की थी और युद्धग्रस्त देश में स्थिति पर चर्चा की थी। उस समय जयशंकर ने 'काबुल में हवाईअड्डे का संचालन बनाए रखने की तात्कालिक जरूरत पर जोर दिया था।'
जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, खासतौर से अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'अभी हमारे सामने अपने नागरिकों को स्वदेश लाने का मुद्दा है। भारत के मामले में भारत के नागरिकों, अन्य देशों की अपनी चिंताएं हैं। हम इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, खासतौर से अमेरिका के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास काबुल हवाईअड्डे का नियंत्रण है।'