काबुल : तालिबान ने अफगानिस्तान की कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा कर दी है, जिसमें मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त किया गया है। मंत्रिमंडल में उन लोगों को प्रमुखता से शामिल किया गया है, जिन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिका तथा उसके समर्थन वाली अफगान सरकार के खिलाफ बीते करीब दो दशकों में अभियान चलाया। इसमें आतंकी हक्कानी नेटवर्क का एक सदस्य भी शामिल है, जिसे गृह मंत्री बनाया गया है।
अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को वैश्विक आतंकी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध किया है। इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है। हालांकि सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम वैश्विक आतंकवादियों की सूची में है और अमेरिका ने उसके बारे में सूचना देने वाले को 50 लाख डॉलर (लगभग 36 करोड़ रुपये) का इनाम देने की घोषणा भी की है। अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (FBI) सिराजुद्दीन हक्कानी को 'मोस्ट वांटेड' की सूची में रखा है।
रिपब्लिकन नेता निकी हेली ने इसे लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पर हमला बोला है। उन्होंने तंज भरे लहजे में एक ट्वीट में कहा, 'तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान की नई सरकार का गृह मंत्री एक आतंकी है, जो FBI की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल है। थैंक्स बाइडेन।'
अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (FBI) की वेबसाइट के अनुसार, 2008 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में कथित तौर पर सिराजुद्दीन हक्कानी भी शामिल था। हक्कानी के बारे में FBI की वेबसाइट पर यह भी कहा गया है कि इसके बारे में माना जाता है कि यह पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान के मीरम शाह इलाके में रह रहा है। उसकी गिनती हक्कानी नेटवर्क के बड़े नेताओं में होती है और उसके तालिबान तथा अलकायदा से भी करीबी सबंध हैं।
अमेरिकी जांच एजेंसी को काबुल में जनवरी 2008 में हुए एक हमले के सिलसिले में हक्कानी की तलाश है, जिसमें अमेरिकी नागरिकों सहित छह लोगों की जान गई थी। समझा जाता है कि अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो गठबंधन सेना पर सीमा पार से हमले में उसकी अहम भूमिका रही।
सिराजुद्दीन हक्कानी, जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। जलालुद्दीन हक्कानी ने 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अभियान में अहम भूमिका निभाई थी और तब इसे अमेरिका का खूब समर्थन हासिल था। पिता की मौत के बाद अब सिराजुद्दीन हक्कानी इस आतंकी संगठन को चला रहा है। पाकिस्तानी प्रतिष्ठनों के साथ इसके रिश्ते बेहद घनिष्ठ हैं, जिसके कारण भारत भी इसे लेकर चौकस रहता है।
भारत को लेकर हक्कानी नेटवर्क और सिराजुद्दीन हक्कानी की सोच शत्रुताभरी रही है। काबुल में 7 जुलाई, 2008 को भारतीय दूतावास पर हुए हमले में भी उसका हाथ रहा था, जिसमें कई भारतीयों सहित 58 लोगों की जान गई थी। बताया जाता है कि इस हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) की तरफ से इशारा मिला था। अब तक यह भूमिगत होकर काम कर रहा था, लेकिन अब अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद यह आतंकी संगठन खुलकर सामने आया है, जिसने कई तरह की चिंताओं को जन्म दिया है।
यहां उल्लेखनीय है कि तालिबान ने मंगलवार को नई सरकार के गठन और मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम की औपचारिक घोषणा की। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नई इस्लामिक सरकार में निर्णय लेने वाली शक्तिशाली इकाई रहबरी शूरा के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद प्रधानमंत्री होंगे और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उप प्रधानमंत्री होंगे। तालिबान ने 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल की घोषणा की है, सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है।
तालिबान ने जहां पूर्व में सरकार के समावेशी होने का दावा किया था, वहीं मंत्रिमंडल में इसकी झलक देखने को नहीं मिली। मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं है और न ही हजारा समुदाय के किसी सदस्य को इसमें शामिल किया गया है।