केपटाउन : दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (Omicron) को लेकर दुनियाभर में चिंताओं के बीच यहां की वैज्ञानिक रकील वियाना ने इसे लेकर खुलासा किया है कि आखिर इसकी पहचान किस तरह की गई। दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी प्राइवेट टेस्टिंग लैब की विज्ञान प्रमुख ने बताया कि यह किस तरह उनके लिए पूरे जीवन के अनुभवों को झकझोर कर रख देने वाला था।
दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिक ने बताया कि उन्होंने 19 नवंबर को कोरोना वायरस के आठ नमूनों के जीनोम सीक्वेंस का अध्ययन किया था, जो अब तक के उनके अनुभव से पूरी तरह अलग और 'बेहद डरावना' था। ये परीक्षण लैंसेट लैब में हुए थे, जिसमें कोरोना वायरस के नमूनों में खासकर स्पाइक प्रोटीन पर बड़ी संख्या में म्यूटेशन देखा गया, जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश के लिए करते हैं।
उन्होंने बताया, 'मैं जो कुछ भी देख रही थी, उससे काफी हैरान थी। मुझे लगा जांच की प्रक्रिया में कुछ गलत तो नहीं हो गया? तभी तत्काल मुझे लगा कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।' उन्होंने तुरंत जोहान्सबर्ग में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) में जीन सीक्वेंस विशेषज्ञ डैनियल अमोआको से फोन पर बात की, जिसके बाद 20-21 नवंबर को उन्होंने अपनी टीम के साथ इसका परीक्षण किया।
अमोआको और उनकी टीम ने भी उन नमूनों में उसी तरह के म्यूटेशन देखे। शुरुआत में उन्हें भी परीक्षण में कुछ गलती जैसा लगा, लेकिन तभी एक सप्ताह के भीतर उन्हें कोविड केस में अचानक बढ़ोतरी का ध्यान आया और उन्हें लगा कि यह नया म्यूटेंट हो सकता है। अमोआको के मुताबिक, 23 नवंबर तक जोहान्सबर्ग और प्रिटोरिया के आसपास के 32 अन्य नमूनों की जांच के बाद 'सबकुछ साफ था। यह बेहद डरावना था।'