'तालिबान को पाकिस्‍तान दे रहा शह, ये ISI की मिलिशिया है', कुछ ऐसे फूट रहा PAK पर अफगानिस्‍तान का गुस्‍सा

अफगानिस्‍तान में शांति को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच जो समझौता हुआ है, उससे अफगानिस्‍तान के लोग खुश नहीं हैं। उन्‍होंने तालिबान को पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी ISI की सैन्‍य मिलिशिया बताया है।

Taliban are military militia of ISI they represents Pakistani military will
पाकिस्‍तान से अफगानिस्‍तान भी परेशान, तालिबान को बताया ISI की मिलिशिया  |  तस्वीर साभार: ANI

जेनेवा : अफगानिस्‍तान में शांति स्‍थापित करने को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच बीते सप्‍ताह बड़ा समझौता हुआ, जिसमें इस बात पर सहमति जताई गई कि अमेरिका अगले 14 महीनों में अपनी सेना वहां से बुला लेगा। इसे ऐतिहासिक समझौता बताया गया तो कभी आतंकी जाने वाले तालिबान नेताओं से इस समझौते के बाद खुद अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने बात की और इसे अच्‍छी बातचीत बताया। पर क्‍या वास्‍तव में अफगानिस्‍तान के लोग इस समझौते से खुश हैं?

लोगों में डर

पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि युद्धग्रस्‍त देश से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी की खबर मिलने के बाद से यहां की महिलाओं में भी बेचैनी है, जो 'मुश्किल से हासिल व्‍यक्तिगत आजादी' को एक बार फिर से खोने की आशंका से डरी हुई हैं। अब कुछ इसी तरह की बात अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ नजीबुल्‍ला के भाई सेदिकुल्‍ला राही ने कही है, जिनका मानना है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुए इस समझौते से अफगानिस्‍तान के आम लोग बिल्‍कुल भी खुश नहीं हैं और उनमें गहरी निराशा है।

'तालिबान ISI की मिलिशिया'

संयुक्‍त राष्‍ट्र महानवाधिकार परिषद की 43वीं बैठक में उन्‍होंने यह आरोप भी लगाया कि तालिबान तो वास्तव में पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) के इशारे पर काम कर रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि तालिबान को उसकी हिंसात्‍मक गतिविधियों के लिए पाकिस्‍तान से लगातार मदद मिलती रही है। अफगानिस्‍तान में अस्थिरता पैदा करने के लिए पाकिस्‍तान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्‍होंने कहा, 'जब से तालिबान अफगानिस्‍तान में आए, उन्‍हें आखिर किसने मदद की? वे वास्‍तव में पाक‍िस्‍तान की खुफिया एजेंसी ISI की सैन्‍य मिलिशिया हैं।'

उन्‍होंने यह भी कहा, 'वे (तालिबान) वास्‍तव में पाकिस्‍तानी सेना व आईएसआई का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं। उन्‍होंने अमेरिका के साथ जो तथाकथित शांति समझौता किया है, उसमें मेरा यकीन नहीं है। अफगानिस्‍तान के लोग वास्‍तव में इससे बेहद परेशान हैं।'

पाक‍िस्‍तान पर पहले भी उठ चुकी है उंगली

यह पहली नहीं है, जब अफगानिस्‍तान के नेताओं ने देश में अशांति व अस्थिरता के लिए पाकिस्‍तान पर उंगली उठाई है। इससे पहले भी अफगान नेतृत्‍व पाकिस्‍तान को लेकर ऐसी बातें कर चुका है। अब अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति की बातों से एक बार फिर जाहिर हो रहा है कि पाकिस्‍तान किस तरह वहां हिंसात्‍मक गतिविध‍ियों को प्रश्रय देता रहा है।

महिलाएं भुगत चुकी हैं तालिबान की हिंसा

उनका यह बयान तालिबान को लेकर देश में बढ़ते डर और खौफ को भी दर्शाता है, जिसे खास तौर पर महिलाएं 1997 के 2001 के बीच 5 साल के तालिबान राज में भुगत चुकी हैं। ताल‍िबान ने शर‍िया कानून की आड़ में महिलाओं को घरों में कैद कर दिया तो उन्‍हें शिक्षा हासिल करने और कामकाज से भी रोक दिया। अब यहां की महिलाएं एक बार फिर उसी खौफ को नहीं जीना चाहतीं और इसलिए अमेरिका व तालिबान के बीच हुए समझौते को लेकर उनमें चिंता है, जिसके तहत सहमति बनी है कि अमेरिका अगले 14 महीनों में चरणबद्ध तरीके से अपनी सेना यहां से हटा लेगा।

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