दोहा : अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया स्थापित करने को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच बड़ी सहमति बनती नजर आ रही है। कतर की राजधानी दोहा में अमेरिकी प्रतिनिधियों और तालिबान के बीच बातचीत के बाद एक संयुक्त घोषणा-पत्र जारी किया गया, जिसके मुताबिक अमेरिका अगले 14 महीनों में अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुला लेगा।
'तालिबान को तोड़ने होंगे आतंकियों से संबंध'
अगर सबकुछ ठीक रहता है तो अमेरिका के साथ-साथ अन्य विदेशी सैनिक भी अफगानिस्तान से वापस चले जाएंगे। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा कि इस दिशा में कोशिशें तभी हकीकत बन सकती हैं, जब तालिबान वास्तव में शांति स्थापित करने की दिशा में इच्छुक हो। इसके लिए उसे सबसे पहले अलकायदा, इस्लामिक स्टेट और ऐसे अन्य विदेशी आतंकी संगठनों के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे।
'ताकि अफगानिस्तान फिर न बने आतंक का अड्डा'
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका तालिबान पर करीब से नजर बनाए रखेगा कि वह अपने वादों को पूरा करता है या नहीं। इसके आधार पर ही तय हो सकेगा कि अमेरिकी सैनिक कितनी जल्दी यहां से वापस जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इस तरह से यह सुनिश्चित करने का प्रयास भी करेगा कि अफगानिस्तान भविष्य में फिर कभी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का अड्डा न बन सके।
अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करेगा अमेरिका
अमेरिका और तालिबान के बीच संयुक्त घोषणा-पत्र में जो बातें कही गई हैं, उसके मुताबिक, अमेरिका अगले 135 दिनों में तालिबान के साथ बनी इस सहमति की प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा और अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 पर ले आएगा। इसमें अमेरिका की ओर से अफगानिस्तान की सहमति से यहां सैन्य अभियान के लिए तैयार रहने की बात भी कही गई है।