बुला रही हैं कब्रें ! कोरोना का खौफ ही कुछ ऐसा, यूरोप और अमेरिका का हाल एक जैसा

दुनिया
ललित राय
Updated Apr 07, 2020 | 10:29 IST

शायद यह पहली बार दुनिया में हो रहा हो कि लोगों के मरने से पहले ही उसकी कब्र का इंतजाम किया जा रहा हो। लेकिन यह सच है यूरोप और अमेरिका में पहले से ही इसकी तैयारी की जा रही है।

बुला रही हैं कब्रें, कोरोना का खौफ ही कुछ ऐसा, यूरोप और अमेरिका का हाल एक जैसा
कोरोना की वजह से कब्रिस्तान में जगह की कमी  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • पूरी दुनिया में कोरोना के 13 लाख से ज्यादा मामले
  • इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा
  • इन देशों में ताबूतों की हो रही है कमी, कब्रिस्तान में भी जगह की कमी

नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना के कुल 13 लाख से ज्यादा केस हैं और यूरोप सबसे ज्यादा प्रभावित है। यूरोप में मौतों की आंकड़ो दहाई के अंकों में नहीं आ रहा है। यह आंकड़ा सैंकड़ों में है। कोरोना के शिकार लोगों को दफनाने के लिए जगह की कमी पड़ रही है। या संभावित मौतों को देखते हुए कब्रों की खुदाई हो रही है। 

न्यूयॉर्क में अस्थाई कब्र
अगर बात अमेरिका की करें तो वहां भी हालात बहुत खराब है। दो लाख से ज्यादा लोग कोरोना का सामना कर रहे हैं। अब तक चार हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, पिछले 24 घंटे में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इस बीच न्यूयॉर्क के मेयर का कहना है कि उनके यहां कब्रिस्तानों में शवों को दफनाने के लिए जगह की कमी नहीं है। लेकिन प्रशासन अस्थाई कब्रों का निर्माण कर रहा है ताकि मृत लोगों की आत्मा को शांति मिल सके। 

रो रहा है इटली, वजह सिर्फ कोरोना
अगर बात इटली की करें तो वहां पर कोरोना की वजह से करीब 16 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल वहां ताबूतों की कमी नहीं है। लेकिन जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं सरकार के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। मिलान और वेनिस कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाके हैं। अधिकारियों का कहना है कि अस्पतालों से जिस तरह से शवों को निकाला जा रहा है उसकी वजह से मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है। 

बेल्जियम में शवों को जलाया जा रहा है
यूरोप के समृद्ध देशों में बेल्जियम का भी नाम है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी खर्च की बात करें तो भारत की तुलना में बेल्जियम 75 गुना खर्च करता है। लेकिन कोरोना से वो बेहाल है। हालाच ये हो गए हैं कि कब्रिस्तानों में जगह की कमी पड़ चुकी है और शवों को जलाया जा रहा है। बेल्जियम सरकार का कहना है कि यह हमारे लिए मुश्किल का समय है। लेकिन उम्मीद है कि हम इस समस्या का सामना करने में कामयाब हो सकेंगे।

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