अफगानिस्तान पर UNSC का प्रस्ताव पारित, 'सेफ जोन' का जिक्र नहीं, वोटिंग से दूर रहे रूस-चीन

Resolution on Afghanistan : अमेरिका और विदेशी बलों की पूरी तरह से वापसी हो जाने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही है कि अफगानिस्तान एक बार फिर आतंकवादी संगठनों का केंद्र बन जाएगा।

UN Security Council adopts resolution on Afghanistan, Russia and China abstain
अफगानिस्तान के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित।   |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार पारित किया प्रस्ताव
  • प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े, वोटिंग के दौरान बैठक से अनुपस्थित रहे चीन और रूस
  • प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आंतक के लिए न हो

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सोमवार को पहली बार अफगानिस्तान की स्थिति पर अपना प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि युद्ध प्रभावित देश का इस्तेमाल किसी देश को डराने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाए। साथ ही तालिबान से लोगों को स्वतंत्रतापूर्वक देश छोड़ने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए कहा गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के 'सेफ जोन' के सुझाव का जिक्र नहीं है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से तैयार इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े जबकि चीन और रूस मतदान प्रक्रिया से अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव पर किसी देश ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। 

तालिबान लोगों को देश से सुरक्षित निकलने की इजाजत देगा-प्रस्ताव 
रिपोर्टों के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया है कि परिषद तालिबान से उम्मीद करती है कि वह 'अफगानिस्तान से अफगान नागरिकों एवं सभी विदेशी लोगों को सुरक्षित एवं व्यस्थित तरीके से जाने की इजाजत देगा।' इस प्रस्ताव में तालिबान के 27 अगस्त के बयान का हवाला दिया गया है। अपने इस बयान में चरमपंथी संगठन ने कहा है कि अफगानिस्तान के नागरिक अपनी इच्छा अनुसार सड़क एवं वायु मार्ग से कभी भी देश छोड़ सकेंगे। प्रस्ताव कहता है कि परिषद को उम्मीद है कि तालिबान ने जो वादे किए हैं और जो प्रतिबद्धता जताई है उसका वह पालन करेगा। 

'आतंकी गुटों का केंद्र बन सकता है अफगानिस्तान' 
अमेरिका और विदेशी बलों की पूरी तरह से वापसी हो जाने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही है कि अफगानिस्तान एक बार फिर आतंकवादी संगठनों का केंद्र बन जाएगा। काबुल में हक्कानी नेटवर्क और उसका करीबी सहयोगी इस्लामिक स्टेट (खुरासान) पहले से ही सक्रिय हैं। आशंका इस बात की भी है कि अब यहां की धरती से दुनिया के अन्य हिस्से में बड़े आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया जा सकता है। 

भारत ने की यूएनएससी की इस बैठक की अध्यक्षता
यूएनएससी की इस बैठक की अध्यक्षता भारत के पास थी। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की अध्यक्षता वाली इस बैठक में अफगानिस्तान के हालात पर यह प्रस्ताव पारित हुआ। श्रृंगला ने कहा कि यह प्रस्ताव महिला अधिकार, खासकर सिख एवं हिंदू अल्पसंख्यक अधिकारों के महत्व को दर्शाता है। प्रस्ताव में लोगों के सुरक्षित निकलने एवं अफगानिस्तान से बातचीत के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई है।

काबुल में 'सेफ जोन' बनाए जाने का जिक्र नहीं
इस प्रस्ताव में राजधानी काबुल में 'सेफ जोन' बनाए जाने को लेकर कोई बात नहीं की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में परिषद इस बारे में कोई घोषणा करे। जानकारों का मानना है कि प्रस्ताव पर रूस और चीन अपना वीटो न लगाएं इसे देखते हुए प्रस्ताव की भाषा को 'नरम' रखा गया है। तालिबान को लेकर भी कोई कठोर बात नहीं कही गई है। 

 
   

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