अफगानिस्तान में कैसी होगी तालिबान की सरकार, कौन होगा मुखिया? यहां जानें

दुनिया
उत्कर्ष सिंह
Updated Aug 31, 2021 | 06:14 IST

Taliban Government in Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार कैसी होगी, उसका ढांचा कैसा होगा, वो कैसे काम करेगी और उसका मुखिया कौन होगा? ऐसे कई सवाल हैं जो लगातार बने हुए हैं।

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अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में जल्द तालिबान की सरकार बनेगी
  • आखिर ये सरकार किस तरह काम करेगी इस पर सभी की निगाहें हैं
  • तालिबान ने अपने कामकाज को लेकर कई दावे किए हैं

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है, जल्द ही वहां तालिबान अपनी सरकार बनाएगा। ऐसे में सवाल है कि उस सरकार का मुखिया कौन होगा? सरकार में कौन मंत्री होगा? आखिर तालिबान सरकार का ढांचा कैसा होगा? सरकार के मुखिया होंगे अमीर अल-मूमिनीन। उनके नीचे एक रहबरी शूरा होंगे। रहबरी शूरा एक कौंसिल के तरह काम करेगा। 18 सदस्यों वाली नेतृत्व परिषद है जिसे रहबरी शूरा कहते हैं। सरकार के लिए नीति-रणनीति बनाने से लेकर सभी महत्वपूर्ण फैसले लेने की जिम्मेदारी इसी नेतृत्व परिषद की होगी। इसके सदस्यों में तालिबान के सदस्य, धर्म गुरु, सूबे के पूर्व प्रशासक और सैनिक कमांडर शामिल होंगे।

मुल्ला बरादर, मुल्ला याकूब दोनों काबुल में हैं जो इस नई सरकार की नींव रखेंगे। तालिबान सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय होंगे- जैसे रक्षा, आंतरिक सुरक्षा, एक मंत्रालय काबुल के लिए। इसके अलावा वित्त मंत्रालय, पब्लिक अफेयर्स और कानून व्यवस्था से जुड़े मंत्रालय होंगे। सूत्र बताते हैं कि एक अंतरिम सरकार का भी प्लान है जिसमे नॉन तालिबान लीडर्स और पार्टी भी रहेंगे जो पिछले सरकार का हिस्सा थे। 

इस अंतरिम सरकार और पावर ट्रांजिशन के लिए अमेरिका से वो लगातार वार्तालाप कर रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि हामिद करजई, अब्दुल्लाह, गुलबुद्दीन हिकमात्यर और आता नूर जैसे लोग इसका हिस्सा रहें। ये देखना दिलचस्प होगा तालिबान आखिर क्या फैसला लेता है।

वक्त तय करेगा सरकार का रवैया

नई सरकार शरिया कानून को मानेगी। ये तालिबान की ख्वाहिश थी जिसे वो पूरा कर रहे हैं। कई सवाल हैं? जैसे क्या तालिबान सरकार अफगानिस्तान के संविधान से चलेगी या फिर वो अपने संविधान जो 1996 में फॉर्म हुआ था उससे चलेंगे? तालिबान ने ये भी साफ कर दिया कि कोई भी संगठन जैसे अल कायदा उसकी जमीन का कोई गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। ऐसा नहीं होगा। अमेरिकी और नाटो फोर्स का मानना है कि दावा और उसे कर के दिखाने में फर्क होता है। तालिबान ने भले ही ये कहा हो कि वो अपने देश में किसी भी आतंकी संगठन को पनपने नहीं देंगे लेकिन इसका फैसला वक्त के साथ होगा। उनका आगे का रवैया वक्त बताएगा। तालिबान ने ये भी साफ किया है कि वो अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करेंगे, अल्पसंख्यक और महिलाओं का सम्मान भी होगा लेकिन शरिया कानून व्यवस्था के तहत। 

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