नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच में तनातनी कोई नई बात नहीं है। अगर पहले के इतिहास पर नजर डालें तो आर्थिक वर्चस्व की लड़ाई में दोनों देश एक दूसरे पर पहले से भी निशाना साधते रहे हैं। लेकिन दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 की एक घटना के बाद अमेरिका इतना खफा है कि वो चीन के साथ साथ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था पर भी सवाल उठाता रहा है जिसे हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम से जानते हैं।
WHO से अलग हुआ अमेरिका
अमेरिका ने अब औपचारिक तौर पर इस संगठन से हटने का फैसला कियाI है। सवाल यही से अब शुरू होता है इसका मतलब क्या है। क्या दुनिया के एक अलग समीकरण की तरफ बढ़ रही है या भूराजनीतिक तौर पर इतना बड़ा बदलाव होगा जो एक अलग तरह की कहानी लिखी जाएगी जो 20वीं सदी में दो बड़ी घटनाओं के बाद इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई थी। यहां एक तथ्य पर गौर करने वाली बात है कि डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को 500 मिलियन डॉलर की मदद देता है जबकि चीन महज 36 मिलियन डॉलर ऐसे में उस संस्था को सोचना होगा कि उसे क्या करना चाहिए ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने की वजह
अमेरिका ने इस तरह का फैसला क्यों किया इसे समझने के लिए कोरोना वायरस की कहानी हो समझना होगा। दरअसल ट्रंप बार बार कह चुके हैं कि जिस तरह से यह मामला सामने आया उससे एक बात तो साफ है कि चीन की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है। चीन को अगर पता था कि यह वायरस दुनिया को तबाह कर देगा तो उसने आखिर इस सच को क्यों छिपाया। इसके साथ ही ट्रंप इस बात से भी ज्यादा खफा हैं कि जिस संगठन के ऊपर दुनिया को स्वास्थ्य के मुद्दे पर खुशहाल रखने की जरूरत है वो अपनी जिम्मेदारी से कैसे चूक गया। अब तो जितनी भी जानकारियां सामने आ रही हैं उससे एक बात तो साफ है कि कहीं न कहीं चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की मिलीभगत थी।
दुनिया इस तरह होगी प्रभावित
21वीं सदी के तीसरे दशक में दुनिया एक ऐसे दुश्मन के साथ जंग लड़ रही है जो अनदेखा है, वो अपने रूप को बदलता भी रहता है कोरोना रूपी वो खतरा मानवजनित है या सिर्फ कोई हादसा यही सबसे बड़ा सवाल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन का कहना है कि यह किसी की सोची समझी चाल नहीं है। लेकिन अमेरिका का कहना है कि दोनों देश सच से दूर भाग रहे हैं। अमेरिका ने पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को मदद देने पर आंशिक रोक लगा दी थी। लेकिन अब अलग होने के फैसले से 500 मिलियन डॉलर की फंडिंग रुक जाएगी जिसकी वजह से इस वैश्विक संगठन को अपने क्रियाकलापों को जारी रखने में मुश्किलात आएगी।