नई दिल्ली : अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ 20 वर्षों तक लड़ाई लड़ने के बाद अमेरिकी सैनिक सोमवार रात काबुल से निकल गए। अपनी रवानगी से पहले अमेरिकी सैनिकों ने एक बड़ा काम यह किया कि उन्होंने काबुल एयरपोर्ट के हैंगर में मौजूद अपने हेलिकॉप्टरों और आर्मर्ड वाहनों को तकनीकी रूप से अयोग्य कर दिया ताकि उनका दोबारा इस्तेमाल न किया जा सके। अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद तालिबान के लड़ाके काबुल एयरपोर्ट पर दाखिल हुए। तालिबान के काबुल एयरपोर्ट में दाखिल होने का एक वीडियो भी सामने आया है।
हथियारों को तकनीकी रूप से अयोग्य किया
इस वीडियो में तालिबान लड़ाके अमेरिका द्वारा एयरपोर्ट पर छोड़े गए चिनूक हेलिकॉप्टर का निरीक्षण करते हुए देखे गए हैं। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक काबुल एयरपोर्ट को छोड़ने से पहले अमेरिकी सेना ने यहां बड़ी संख्या में मौजूद अपने एयरक्राफ्ट, आर्मर्ड वाहनों और रॉकेट डिफेंस सिस्टम को तकनीकी रूप से अयोग्य कर दिया।
ये एयरक्राफ्ट दोबारा फिर नहीं उड़ेंगे
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सेंट्रल कमान के प्रमुख जनरल कीनेथ मैकेंजी ने बताया कि काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहले ही 73 एयरक्राफ्ट मौजूद थे और अपना दो सप्ताह का रेस्क्यू मिशन पूरा करने के बाद अमेरिकी सैनिकों ने इन्हें 'बेकार' कर दिया। उन्होंने कहा, 'ये एयरक्राफ्ट फिर नहीं उड़ेंगे...इन्हें कोई भी चला नहीं सकेगा।'
एयरपोर्ट पर हथियारों को बम से नहीं उड़ाया
मैकेंजी ने बताया कि सैनिक हथियारों को तकनीकी रूप से इस तरह से 'अक्षम' बना देते हैं कि उनका दोबारा इस्तेमाल न हो सके। अधिकारियों का कहना है कि सैनिकों ने सैन्य उपकरणों को बम से नहीं उड़ाया। ऐसा न करने के पीछे यह मकसद था कि एयरपोर्ट का उड़ानों के लिए इस्तेमाल भविष्य में हो सके। इसके अलावा अमेरिकी सैनिकों ने 27 हमवीस और 73 एयरक्राफ्ट को 'अयोग्य' बनाया। इन्हें फिर दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों ने अपने पीछे करीब 70 एमआरएपी आर्मर्ड टैक्टिकल वाहनों को छोड़ा है। बताया जाता है कि इस तरह के एक वाहन की कीमत एक मिलियन डॉलर है।
अफगानिस्तान में अभी भी 200 अमेरिकी नागरिक
अफगानिस्तान में अब भी करीब 200 अमेरिकी नागरिक रह गए हैं। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका अपने नागरिकों और अफगानों को वहां से निकालने का प्रयास करता रहेगा और काबुल हवाई अड्डा फिर से खुलने के बाद अफगानिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के साथ सड़क रास्ते से या चार्टर्ड विमानों के जरिए उनकी सुरक्षित वापसी का प्रयास करेगा। अमेरिकी बलों की पूर्ण वापसी के बाद काबुल एयरपोर्ट पूरी तरह से तालिबान के नियंत्रण में आ गया है।