वाशिंगटन : अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहे। कई जगह प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन ने 24 राज्यों में बड़ी संख्या में नेशनल गार्ड के जवानों की तैनाती कर दी है। एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों फ्लॉयड की निर्मम हत्या के बाद यहां भड़के हिंसक प्रदर्शनों की आग देश के 140 शहरों तक पहुंच गई है।
इस बीच अमेरिका के कई बड़े शहरों में लूटपाट की घटनाएं भी हुई हैं। बीते कई दशकों में इसे अमेरिका का सबसे खराब नागरिक अशांति का दौर माना जा रहा है। हिंसा, लूटपाट को देखते हुए अमेरिका के न्यूयार्क सहित कई शहरों में कर्फ्यू भी लगाए गए हैं। भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती के बावजूद प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिसके बाद अब विभिन्न राज्यों में नेशनल गार्ड के लगभग 17 हजार फोर्स की तैनाती की गई है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने इन्हें घरेलू आतंकवाद करार देते हुए इसके लिए 'एंटीफा' समूह को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा है कि हिंसा, लूटपाट, अराजकता और अव्यवस्था की स्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमेरिका की सड़कों पर जो कुछ भी हो रहा है, वह न तो प्रदर्शन है और न ही अभिव्यक्ति। ये अपराध हैं, जिससे बेकसूर अमेरिकी नागरिकों को नुकसान हो रहा है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अमेरिका में हिंसक प्रदर्शनों का यह दौर ऐसे समय में शुरू हुआ है, जबकि देश कोरोना वायरस महामारी के कारण उपजे संकट का सामना कर रहा है। यहां संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 18.81 लाख से अधिक हो गया है, जबकि 1.08 लाख से अधिक लोगों की अब तक जान जा चुकी है। इस बीच यहां प्रदर्शनों का दौर शुरू होने के बाद संक्रमण के मामले और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। कई जगह प्रदर्शनकारियों के चेहरे पर मास्क भी नहीं दिख रहे हैं।