नई दिल्ली : साल 2021 की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा भी शामिल है, जिसने इस दक्षिण-एशियाई मुल्क में भय, आतंक और अनिश्चितताओं के नए दौर को शुरू किया। इसकी बुनियाद यूं तो 29 फरवरी, 2020 को कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते में ही पड़ गई थी, लेकिन साल 2021 इसमें निर्णायक साबित हुआ, जब तालिबान बिना किसी भारी खून-खराबे के दुनिया को चौंकाते हुए एक के बाद एक कई शहरों पर कब्जा करता गया और आखिरकार उसने राजधानी काबुल में राष्ट्रपति भवन को अपने नियंत्रण में ले लिया।
अफगानिस्तान में यह दूसरी बार रहा, जब तालिबान ने यहां की सत्ता पर कब्जा किया। इससे पहले 1999-2001 के बीच तालिबान का यहां कब्जा रहा था, जो वर्ष 2001 में अमेरिका के हमले के बाद ही समाप्त हो गया था। अमेरिका ने यह हमला 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमले के बाद किया था, जिसके हमलावरों को प्रशिक्षण से लेकर पनाह तक तालिबान के राज वाले अफगानिस्तान में मिली थी। 20 साल बाद तालिबान के एक बार फिर निर्णायक उभार ने पूरी दुनिया को चौंकाया। जो अमेरिका 2001 में तालिबान राज के खात्मे की वजह बना, उसी अमेरिका को 2021 में फिर से तालिबान के उभार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
करीब दो दशक बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर किस तरह कब्जा किया, साल 2021 में इसके इसके अहम पड़ाव क्या रहे, इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है :
14 अप्रैल, 2021
तालिबान के साथ दोहा समझौता जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में हुआ था, वहीं 20 जनवरी, 2021 को अमेरिका की सत्ता में आने वाले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के अपने पूर्ववर्ती प्रशासन के फैसले को बरकरार रखा। 14 अप्रैल, 2021 को बाइडेन ने 11 सितंबर, 2021 तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का ऐलान किया, जिसने तालिबान के मनोबल को बढ़ाया और यह सशस्त्र समूह अफगान शहरों को अपने नियंत्रण में लेने के अभियान पर चल पड़ा।
मई 2021
अफगानिस्तान से 11 सितंबर, 2021 तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के साथ ही तालिबान ने शहरों को कब्जाना शुरू कर दिया। खास तौर पर उत्तर अफगानिस्तान के एक-एक शहर को इसने अपने नियंत्रण में लेना शुरू किया। इस दौरान दुनिया को हैरानी इस बात से भी हुई कि 2001 से इतर इस बार यह नियंत्रण बगैर किसी भारी खून-खराबे के हुआ। तालिबान न केवल स्थानीय लोगों को चुप कराने में कामयाब रहा, बल्कि उसने अमेरिका के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करने वाले अफगानिस्तान के तत्कालीन सुरक्षाकर्मियों को भी आत्मसमर्पण के लिए मनाया और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया।
जुलाई 2021
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़त के बीच अमेरिकी सैनिकों ने बगराम एयरफील्ड को खाली कर दिया, जो यहां अमेरिकी युद्ध का एक प्रमुख केंद्र था। अफगान बलों ने आरोप लगाया कि अमेरिकी सैनिकों ने बगराम जिले के अधिकारियों या गवर्नर कार्यालय के साथ किसी तरह के समन्वय के बिना ही इस एयरबेस को खाली कर दिया, जिसका असर न सिर्फ अफगान बलों के मनोबल पर पड़ा, बल्कि लुटेरों और घुसपैठियों के हौसले भी बुलंद हुए। यह एयरबेस साल 2001 से ही अमेरिका के नियंत्रण में था और जैसे ही अमेरिकी सैनिकों ने इसे खाली किया, यहां लूट और अफरातफरी मच गई।
अगस्त 2021
तालिबान अब तक अफगानिस्तान के कई शहरों और प्रांतों पर कब्जा कर चुका था। कई जगह बिना लड़े ही उसने नियंत्रण हासिल कर लिया था। कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान के सभी छोटे-बड़े शहरों पर तालिबान का कब्जा था। अब तैयारी काबुल पर फतह की थी और 15 अगस्त को वह भी पूरी हो गई, जब राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर फरार हो गए और तालिबान ने बिना किसी रक्तपात के प्रेजीडेंट पैलेस पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़कर जाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर तरफ बस अफरातफरी का माहौल था। लोग किसी भी हालत में इस मुल्क को छोड़कर जाना चाहते थे।
बढ़ती अफरातफरी, आशंकाओं के बीच 17 अगस्त को तालिबान के प्रवक्ता जैबुल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समावेशी सरकार का वादा किया। साथ ही सहायता एजेंसियों, दूतावासों की सुरक्षा, महिलाओं के काम और शिक्षा हासिल करने के अधिकार को शरिया कानूननों के मुताबिक जारी रखने का आश्वासन दिया। इसी बीच 26 अगस्त को काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आत्मघाती बम हमला होता है, जिसमें मुल्क छोड़ने की जद्दोजहद में जुटे सैकड़ों नागरिक हताहत हुए। हमले में करीब 200 अफगान और 13 अमेरिकी जवानों की जान गई, जिसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली।
काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले के तीन दिन बाद 29 अगस्त को अमेरिका ने ISIS संदिग्ध आतंकियों को निशाना बनाकर दूसरा ड्रोन स्ट्राइक किया, लेकिन एक अफगान परिवार ने इसमें बच्चों सहित 10 रिश्तदारों के मारे जाने की बात कही। 30 अगस्त को अमेरिका का आखिरी विमान यहां से रवाना हुआ, जिसके साथ ही अफगानिस्तान में अमेरिका के दो दशकों से भी अधिक समय के युद्ध का समापन हो गया और तालिबान के राज में कई तरह की अनिश्चितताओं और आशंकाओं से घिरा एक नया अफगानिस्तान दुनिया के सामने है।