इस्लामाबाद/वाशिंगटन/नई दिल्ली : पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को स्थानीय अदालत ने गिरफ्तारी के करीब एक सप्ताह बाद ही आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया करने के मामले में 5 साल कैद की सजा सुनाई है। लेकिन पाकिस्तान की इस कार्रवाई के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह तो वह समय है, जिसमें लखवी के लिए सजा का ऐलान हुआ है। फिर लखवी मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले का भी साजिशकर्ता है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान इस मामले में उसके खिलाफ मुकदमा कर उसे जिम्मेदार ठहराएगा?
अब एक सवाल जो सभी के मन में है कि क्या लखवी के मामले में पाकिस्तान की कार्रवाई भरोसे के लायक है? लखवी की गिरफ्तारी और सजा सुनाए जाने के पीछे क्या वास्तव में इमरान सरकार की नीयत 'पाक' है? इन सवालों के उठने की कई वजहें हैं। दरअसल, पाकिस्तान में लखवी की गिरफ्तारी और उसे सजा सुनाए जाने की घोषणा ऐसे समय में हुई है, जबकि अगले कुछ ही महीनों में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक होनी है। इससे पहले अक्टूबर 2020 में हुई बैठक में FATF ने पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में रखते हुए कड़ी चेतावनी दी कि वह आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में फरवरी 2021 तक सभी शर्तों को पूरा करे। FATF ने इस मामले में 27 प्रमुख बिंदु तय किए हैं, लेकिन अक्टूबर तक पाकिस्तान ने उनमें से केवल 21 को पूरा किया था।
पाकिस्तान अगर फरवरी 2021 तकFATF द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे फिर से ग्रे सूची में डाला जा सकता है या उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए और भी बुरा होगा। इससे पाकिस्तान को मिलने वाले विदेशी निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ेगा तो IMF तथा ADB जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेना भी उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। यह ई-कॉमर्स और डिजिटल फाइनेंसिंग के लिए भी एक गंभीर बाधा है।
पाकिस्तान की नीयत पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई का अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। लखवी को इससे पहले भी गिरफ्तार किया गया था, जब दिसंबर 2008 में भारत ने लखवी को मुंबई हमलों में मुख्य अभियुक्त घोषित किया था। भारत की घोषणा के बाद ही उसी महीने पाकिस्तान में लखवी को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन उसे रावलपिंडी की विशाल अदियाला जेल में रखा गया था, लेकिन यहां जिस तरह के ऐशो आराम के इंतजाम उसके लिए किए गए थे, उसने पाकिस्तान की नीयत पर संदेह पैदा किया। जेल में उसे उसे टेलीविजन, मोबाइल फोन, इंटरनेट से लेकर दिनभर में कई लोगों से मुलाकात की अनुमति भी दी गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब उससे रोजाना 100 लोग मिलने पहुंचते थे और वह जेल ही अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए था।
अब एक बार फिर जब पाकिस्तान में उसे गिरफ्तार किया गया और सजा सुनाई गई है तो जाहिर तौर पर भारत ने इसे 'आडंबर' करार दिया है और कहा कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों से पहले 'आडंबर करना' पाकिस्तान के लिए आम बात हो गई है। पाकिस्तान के ये कदम साफ दिखाते हैं कि फरवरी 2021 में एफएटीएफ की पूर्ण बैठक और एपीजेजी (एशिया प्रशांत संयुक्त समूह) की बैठक से पहले पाकिस्तान खुद को कार्रवाई करते हुए प्रदर्शित करना चाहता है ।
वहीं, अमेरिका ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि वह 2008 के मुंबई हमले सहित कई अन्य आतंकी हमलों में शामिल होने के लिए भी लखवी को जिम्मेदार ठहराए। अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो ने ट्वीट कर कहा, 'हम ज़की-उर-रहमान लखवी को दोषी ठहराए जाने से उत्साहित हैं। हालांकि, उसके अपराध आतंकवाद के वित्तपोषण से काफी अधिक भयानक हैं। पाकिस्तान को मुंबई हमलों सहित आतंकवादी हमलों में शामिल होने के लिए उसे जिम्मेदार ठहराना चाहिए।'
अब देखना यह है कि क्या वास्तव में पाकिस्तान लखवी और अपनी धरती पर सक्रिय आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करता है या फिर वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का महज दिखावा करता रहेगा?