आगरा: लॉकडाउन की वजह से जहां एक तरफ पूरा जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है वहीं दूसरा पक्ष ये भी है कि प्रकृति में इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। चाहे वो गंगा, यमुना के पानी की स्वच्छता हो या फिर सहारनपुर, चंडीगढ़ जैसे शहरों से हिमालय के दर्शन। यूं कहें कि प्रकृति एक बार फिर अपने पुराने स्वरूप में लौटती हुई नजर आ रही है। इसका असर विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल ताजमहल पर भी देखने को मिल रहा है, जहां इसकी सफेदी के हुस्न पर लगने वाले दाग अब बंद हो गए हैं।
पिछले कई सालों में हुआ ऐसा
लॉकडाउन की वजह से पूरा देश बंद है और ताजमहल भी इससे अछूता नहीं रहा है। हर साल यहां इस सीजन में पर्यटकों की भारी भीड़ लगती थी। लेकिन इसके साथ ही ताज प्रशासन के लिए कुछ ऐसी चुनौतियां भी आती थी जो काफी गंभीर होती थी। लेकिन पिछले पांच साल में पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रशासन ने इस समस्या से छुटकारा पाया है। अब हम आपको बताते हैं कि समस्या क्या है। दरअसल हर साल यमुना के गंदे पानी की वजह से गोल्डीकाइरोनोमस नाम का कीड़ा पैदा हो जाता था। यह कीड़ा इतना खतरनाक होता है कि स्मारक की संगरमरमरी दीवारों पर काले और हरे रंग के निशान छोड़ देता है।
दूषित पानी में पैदा होता है यह कीड़ा
दूषित पानी में पैदा होने वाले गोल्डीकाइरोनोमस नाम के इस कीड़े की वजह से संगमरमर और ताज पर गढ़ी नक्काशियों का रंग हरा हो गया था। ताज की सुंदरता के इस दुश्मन पर भी लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी है कि इस बार वह नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण यह है कि यमुना इस बार दूषित होने की बजाय साफ हो गई है और पहले की तुलना में लबालब भी भरी हुई है। जब से लॉकडाउन लगा हुआ है औद्योगिक गतिविधियां सारी बंद है तो पानी खुद-ब-खुद साफ हो गया है।
यमुना के पानी में ताजमहल का प्रतिबिंब
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए एएसआई, आगरा सर्कल में अधीक्षक पुरातत्वविद (रसायन) एमके भटनागर ने बताया कि पिछले कई सालों में यमुना में इस तरह का साफ जल कभी नहीं देखा गया। उन्होंने बताया, 'इस वजह से कीट प्रजनन पर अंकुश लगा है, जिसके कारण इस साल ताज पर कोई दाग नहीं है। मैंने नदी के किनारे का दौरा किया है और आश्चर्यचकित था। स्मारक का प्रतिबिंब पारदर्शी पानी में देखा जा सकता है, यह दुर्लभ है।'
इस गोल्डीकाइरोनोमस कीड़े की वजह से दाग में कई जगह निशान पड़ गए थे और इसे लेकर कई बार पर्यटक भी गाइडों से सवाल करते थे। यहां तक कि पुरात्व विभाग के अधिकारियों को कैमिकल से इसकी सफाई भी करनी पड़ती थी।
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