नई दिल्ली: आगरा के बरौली अहीर ब्लॉक की एक महिला ने अपनी 5 साल की बेटी की भुखमरी से मौत के बाद खुद को दोषी ठहराया है। शीला देवी के रूप में पहचानी जाने वाली महिला ने कहा कि उसने अपनी बेटी को खो दिया क्योंकि वह नौकरी नहीं पा सकी और अपने परिवार का गुजारा कर सकी। आगरा में नगला विधीचंद गांव में रहने वाला परिवार पिछले एक महीने से संघर्ष कर रहा था। पिछले एक हफ्ते से शीला देवी के परिवार के पास खाने के लिए खाना नहीं था।
शुक्रवार यानी 21 अगस्त को शीला की 5 साल की बेटी सोनिया ने अंतिम सांस ली। सोनिया की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मानने वाली पीड़ित महिला ने कहा, 'मैं उसे खाना नहीं दे पा रही थी। वह कमजोर हो रही थी। उसे तीन दिनों से बुखार था। और अब मैंने उसे खो दिया है।'
परिवार के एक पड़ोसी हेमंत गौतम ने कहा कि जिला अधिकारियों ने परिवार को मदद नहीं दी। शनिवार को स्थानीय अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे इस मामले को देखेंगे। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि विभाग ने मामले का संज्ञान लिया है और बच्चे की मौत की जांच के आदेश दिए गए हैं। सिंह ने 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया, 'परिवार ने शव का दफना दिया जो उन्हें नहीं करना चाहिए था। पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण पता चलता।'
कथित तौर पर शीला और उसके पति ने 2016 में भुखमरी के कारण अपने बेटे को खो दिया था। शीला ने कहा कि उनके पति को तपेदिक है और उन्हें बिस्तर पर हैं। अपने पति की दवाओं का खर्च उठाने में असमर्थ शीला को डर है कि वह उसे भूख और उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से खो देगी।
परिवार का संघर्ष सामने आने के बाद कांग्रेस की यूपी इकाई के सचिव अमित सिंह ने उनके घर का दौरा किया और कहा, 'उन्हें सहायता की तत्काल आवश्यकता है। कोई राशन कार्ड, कोई गैस कनेक्शन नहीं। उन्हें राज्य सरकार द्वारा दिहाड़ी मजदूरों को दिए गए 1,000 रुपए भी नहीं मिले।'
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