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भारतीय उद्योग संघ के डायरेक्टर ने कहा- अगर केंद्र सरकार ऐसा करती तो नहीं जाती नौकरियां

Updated May 24, 2020 | 12:31 IST

कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। उद्योग मंडल के डायरेक्टर ने कहा कि अगर सरकार अगर ऐसा करती तो नौकरियां सुरक्षित रहतीं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
जॉब लॉस पर सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कई बातें कहीं

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी और ‘लॉकडाउन’ के चलते बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाले जाने के बीच देश के सबसे बड़े उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कहना है कि केंद्र सरकार अगर सस्ती दरों पर कंपनियों को कर्ज देती तो लोगों की नौकरियां सुरक्षित रहतीं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उसका यह भी कहना है कि इस पूरे संकट में कृषि क्षेत्र में चीजें बेहतर नजर आईं और इसने एक भरोसा दिया है। इसी संदर्भ में सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी से पांच सवाल और उनके जवाब:-

सवाल: सरकार के 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को उद्योग किस रूप में देख रहा है। क्या इससे अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी?
जवाब:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान प्रोत्साहन और सुधार का एक बेहतर मेल है। निश्चित रूप से इसका न केवल अल्पकाल में बल्कि मध्यम से दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

सवाल: यह कहा जा रहा है कि पैकेज दीर्घकाल में आपूर्ति व्यवस्था को दुरूस्त करने में उपयोगी साबित होगा, पर अल्पकाल में मांग और विनिर्माण को गति देने में बहुत कारगर नहीं है जबकि इसकी जरूरत थी। आप लोगों की क्या राय है?
जवाब:
यह सही है कि आर्थिक पैकेज के तहत जिन सुधारों की घोषणा की गयी है, उसमें से ज्यादातर का प्रभाव मध्यम से दीर्घावधि में पड़ेगा। हालांकि कुछ अल्पकालीन उपायों की भी घोषणा की गयी है, जैसे छोटे उद्योग के लिये कर्ज की गारंटी (3 लाख करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के कर्ज सुलभ करना)। इससे कोविड-19 संकट से सर्वाधिक प्रभावित एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को आसानी से कर्ज सुलभ होगा। इससे निवेश बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा और मांग को गति मिलेगी। अंतत: अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

सवाल: विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है या फिर वेतन में कटौती हो रही है । आपकी राय में लोगों की नौकरियां सुरक्षित रखने के लिए सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए था?
जवाब:
सीआईआई ने सरकार को वेतन समर्थन कार्यक्रम का सुझाव दिया था जिसके तहत कंपनियों को 3 से 6 महीने के लिये सस्ती दर पर कर्ज लेने की सुविधा मिलती ताकि वे अपने कामगारों को समय पर वेतन का भुगतान कर पाते लेकिन ऐसा हुआ नहीं ।ऐसा होता तो संभवत: नौकरियां कुछ हद तक सुरक्षित रहतीं।

सवाल: कोविड-19 संकट में कृषि ऐसा क्षेत्र रहा जो पूरी मुस्तैदी से टिका रहा। किसान अपना काम करते रहे। गोदामों में पड़े रिकार्ड अनाज भंडार से सरकार को बड़ी राहत मिली। क्या आपको लगता है कि अर्थव्यवस्था की इस ‘रीढ़’ को और मजबूत करने की जरूरत है?
जवाब:
हमारी अर्थव्यवस्था के लिये कृषि क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां संकट के दौरान चीजें बेहतर नजर आयीं और इसने एक भरोसा दिया है। वित्त मंत्री ने अपने आर्थिक पैकेज में कृषि बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिये बेहतर काम किया है। क्षेत्र के लिये व्यापक बदलाव (आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि जिंसों को हटाने और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी आदि) की घोषणा की गयी है जिससे कृषि उत्पादों के विपणन की बाधाएं दूर होंगी।

सवाल: देश में सस्ता और अधिक मात्रा में श्रम एक बड़ी राहत की बात है, लेकिन संकट के समय प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। प्रवासी मजदूरों की बेहतर स्थिति के लिये उद्योग के क्या सुझाव हैं?
जवाब:
संकट की घड़ी में जहां तक संभव हुआ उद्योग ने सामुदायिक रसोई स्थापित कर और अस्थायी तौर पर रहने की व्यवस्था कर राहत उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। मध्यम अवधि के लिये उद्योग का सुझाव है कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रम बल को सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में लाया जाए। वित्त मंत्री ने श्रमिकों के लिये सस्ता किराये का मकान बनाने की घोषणा की है, यह एक अच्छा प्रस्ताव है और इसे तत्काल क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

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